झारखंड के किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. लगातार दो साल से यहां सूखा पड़ा है. इसके कारण किसानों की कमर टूट गई है. 2022 के बाद 2023 में कृषि के लिहाज से झारखंड के लिए अच्छा नहीं रहा है. इस साल धान खरीफ धान की खेती पर बारिश नहीं होने का सबसे अधिक असर पडा है. धान यहां की मुख्य फसल है ऐसे में धान की फसल नहीं होने से किसानों को पूरे साल आर्थिक कमी का सामना करना पड़ता है. क्योंकि झारखंड के किसान एक ही बार में धान नहीं बेचते हैं. कई ऐसे किसान हैं जो साप्ताहिक बाजार के दिन धान बेचते हैं और उससे घर की जरुरतों का सामान खरीदते हैं. किसानों को इस आर्थिक स्थिति के उबारने के लिए राज्य सरकार ने पिछले साल मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना चलाई थी,हालांकि इस योजना को लेकर भी किसानों का फीडबैक सही नहीं रहा.
उल्लेखनीय है कि इस साल राज्य के 201 प्रखंडों में सामान्य से कम बारिश हुई थी. इसके चलते किसान खरीफ धान की खेती नहीं कर पाए. इसके बाद राज्य के किसानों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से विभाग की तरफ से जमीनी सर्वे भी कराया गया. इसके बाद इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य के किसानों को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र के पास सूखा राहत के लिए आवेदन करना था. यह आवेदन अक्टूबर महीने में ही करना था पर अभी तक राज्य सरकार की तरफ से कोई आवेदन नहीं किया गया है.
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हालांकि राज्य सरकार ने इस साल भी मुख्यमंत्री सुखा राहत योजना को जारी रखते हुए इसी के जरिए राज्य के किसानों को राहत देने का फैसला किया है. पर पिछले साल की तुलना में इस साल योजना का लाभ लेने में बेहद ही कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं. पिछले साल लगभग 30 लाख किसानों ने योजना के तहत लाभ लेने के लिए आवेदन दिया था. प्रज्ञा केंद्रों में देर रात तक लाइन लगकर किसानों ने फार्म भरा था. पर इस बार मात्र 14 लाख किसानों ने ही आवेदन किया है. योजना के तहत पिछले बार लगभग 10 लाख किसानों के खाते में राशि ट्रांसफर की गई थी. सूखा राहत योजना के तहत 30-50 फीसदी नुकसान होने पर किसानों को प्रति एकड़ तीन हजार रुपये दिए जाते हैं जबकि 50 फीसदी या उससे अधिक नुकसान होने पर चार हजार रुपए प्रति एकड़ की राशि दी जाती है.
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इन सबके बीच कृषि विभाग से लगातार गड़बड़ी की शिकायत मिल रही थी. इसके बाद जांच भी कराई गई थी. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत संचालित प्रति बूंद अधिक फसल योजना (पीडीएमसी) में भारी गड़बड़ी की शिकायत मिली थी. इस मामले में जांच भी की गई थी और इस मामले में कार्रवाई करते हुई नाबार्ड के तहत संचालिच नैबकॉन के कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी. इतना ही नहीं 10 आपूर्तिकर्ता कंपनियों को भी ब्लैकलिस्ट किया गया था. हालांकि बाद में फिर से उन कंपनियों को ब्लैक लिस्ट से हटा दिया था.
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