झारखंड के 25 लाख से अधिक किसानों को अब तक मुख्यमंत्री सूखाड़ राहत योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. कुल मिलाकर झारखंड के ये किसान सूखा राहत राशि का इंतजार करने को मजबूर हैं. वहीं इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है, जिसके तहत राज्य के कृषि मंत्री ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि केंद्र की तरफ से अब तक सूखा पीड़ित किसानों के लिए राशि नहीं भेजी गई है, इसलिए किसानों को पैसे नहीं मिल पा रहे हैं. झारखंड में इस बार मौसम की बेरुखी के कारण बारिश नहीं हुई थी और गंभीर सूखा पड़ा था. इसके कारण किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई थी.राज्य के किसानों को इस सूखाड़ से राहत दिलाने के लिए राज्य में मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना शुरु की गई थी.
राज्य सरकार की अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार अब तक झारखंड के 33 लाख 62 हजार 823 किसानों ने सूखा राहत के लिए आवेदन किया है. इनमें 17 लाख 49 हजार 806 ऐसे किसान हैं, जिन्होंने इस वर्ष बेहद कम बारिश होने की स्थिति में खरीफ फसलों की बुवाई नहीं की थी. ये ऐसे किसान हैं. 10 लाख 259 ऐसे किसान हैं जिन्हें 33 फीसदी से अधिक का फसल नुकसान हुआ है. जबकि राज्य में पड़े इस गंभीर सूखे के कारण 6 लाख 12 हजार 758 भूमिहीन कृषक मजदूर प्रभावित हुए थे, जिन्होंने सूखा राहत के लिए आवेदन दिया था.
राज्य में सूखा पड़ने के बाद खरीफ फसलों की कटाई पूरी होने केंद्रीय टीम ने ऱाज्य में सूखाड़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए निरीक्षण किया था. टीम ने इस दौरान पाया था झारखंड में गंभीर सूखा पड़ा था. टीम पलामू के कई ऐसे जगहों पर गई था, जहां पर ग्रामीणों ने इस सूखे के बाद पेयजल का संकट बताया था और चापाकल की मांग की थी. राज्य सरकार ने किसानों को तत्काल सूखे से राहत दिलाने के लिए मुख्यमंत्री सूखा राहत योजना शुरू की थी.
इसके तहत प्रत्येक किसान को 3500 रुपये की सहायता राशि दी जानी थी. यह राशि भी अब तक राज्य के लगभग 10 लाख किसानों को ही मिल पाई है. इसके बाद हेमंत सरकार ने किसानों को राहत पहुचाने के लिए केंद्र सरकार ने 9500 करोड़ रुपये के सहायता की मांग की है. इसे लेकर राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि केंद्र की तरफ से अभी तक राशि नहीं मिली है, इसलिए किसानों को राशि देने में देरी हो रही है. गौरतलब है कि इस बार झारखंड के 226 प्रखंड में गंभीर सूखा पड़ा था इसलिए किसान खरीफ फसलों की बुवाई नहीं कर पाए थे.
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