कावेरी जल विवाद को लेकर कर्नाटक और तमिननाडु के बीच तकरार कम होने का नाम नहीं ले रही है. ताजा मामले में तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी का पानी नहीं देने का आग्रह करते हुए मांड्या में किसानों ने एक दिन का बंद बुलाया था. इस दौरान किसानों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया. विरोध के तौर पर कुछ किसान नेता सड़कों पर सो गए, वहीं कुछ किसान नेताओं ने जेसी सर्किल के पास मानव श्रृंखला बनाकर अपना विरोध प्रदर्शन किया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए राज्य सरकार ने तमिलनाडु के लिए केआरएस और कावेरी बेसिन के अन्य बांधों से कावेरी का पानी छोड़ने का फैसला किया था. जिसके बाद किसान राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर गए और प्रदर्शन किया.
मांड्या में किसानों द्वारा बुलाया गया बंद कुल मिलाकर शांतिपूर्ण रहा. निजी दुकानें और कमर्शियल संस्थान बंद रहे. बंद के दौरान प्राइवेट बसों का संचालन बंद रहा और ऑटोरिक्शा भी नहीं चले. इसके कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. इस विरोध प्रदर्शन में अलग-अलग कन्नड़ संगठनों के कार्यकर्ता और किसान संगठन के लोग शामिल थे. बंद को देखते हुए कई शैक्षणिक संस्थानों ने पहले से ही बंद की घोषणा कर दी थी. वहीं जेसी सर्कल के पास बनाए गए ह्यूमन चेन में किसानों के अलाना विभिन्न कॉलेज के छात्र भी शामिल हुए. तमिलनाडु के लिए जल कावेरी नदी पानी छोड़े जाने के खिलाफ बुलाए गए इस बंद को मांड्या और मद्दूर में कावेरी हितरक्षण समिति का भी भारी समर्थन मिला.
ये भी पढ़ेंः Parali Burning: हरियाणा में पराली से नहीं होगा प्रदूषण, धुएं से बचने के लिए किसानों ने अपनाया ये देसी तरीका
बंद के कारण बैंगलुरू मैसूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी यातायात प्रभावित हुआ है. यात्रियों की परेशानियों को देखते हुए उनके लिए वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की गई है. किसानों ने अपनी बैलगाड़ियों से इस राजमार्ग को जाम कर दिया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक प्रदर्शनकारी ने हरे शॉल से अपना गला घोंटकर अपनी जान लेने का भी प्रयास किया. इतना नहीं आसपास के गांवों के बच्चे भी सिर में खाली घड़े लेकर इस रैली में शामिल हुए.बदं के दौरान कावेरी नदी विवाद पर जागरूकता पैदा करने के लिए कई संगठनों ने बाइक रैलियां निकालीं और पर्चे भी बांटे बांटे.
ये भी पढ़ेंः Tamil Film: ‘मेरकु थोडर्ची मलई’ अपने खेतों का सपना देखने वाले एक भूमिहीन मजदूर की दर्दभरी दास्तां
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के लिए पानी छोड़कर राज्य के किसानों के हितों की रक्षा करने में विफल रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही पानी छोड़ना बंद नहीं किया गया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा. हालांकि बंद प्रदर्शनकारियों से निबटने के लिए पुलिस सुरक्षा के उपाय किए थे औऱ अर्द्धसैनिक बलों की भी तैनाती की गई थी. इधर कृष्ण राजा सागर डैम के जलस्तर की बात करें तो शमिनाव को इसका जलस्तर 96-90 फीट था जबकि इसकी क्षमता 124.80 फीट है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today