यमुनानगर में प्री-मॉनसून बारिश ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है. जहां पहले नजरें सिर्फ यमुना पर टिकी थीं. वहीं सोम नदी, पथराला और डी-नोटिफाई हो चुकी दादूपुर नहर ने अचानक रौद्र रूप धारण कर लिया. इससे कुछ गांवों में खेतों में पानी घुस गया और किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं. 20 से ज्यादा गांवों में बांध टूटने का डर बना हुआ है. बारिश और बाढ़ की स्थिति से निपटने को लेकर प्रशासन अलर्ट मोड में है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि अब देर हो चुकी है.
यमुनानगर जिले में प्री-मॉनसून की बारिश ने तबाही के संकेत दे दिए हैं. बुधवार की मूसलाधार बारिश से जहां शहर के पॉश इलाके जलमग्न हो गए, वहीं ग्रामीण इलाकों में हालात और भी बदतर हो गए. प्रशासन की निगाहें यमुना पर थीं, लेकिन खतरा सोम और पथराला नदियों से आया, जिनका रौद्र रूप देखते ही किसानों के पसीने छूट गए.
सोम और पथराला, जो आमतौर पर शांत रहने वाली बरसाती नदियां हैं, बुधवार को अचानक उफान पर आ गईं. दोनों नदियों में पानी का स्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया. वहीं दादूपुर-नलवी नहर, जिसे डी-नोटिफाई किया जा चुका है, उसने भी अपना किनारा तोड़कर खेतों की तरफ मुंह मोड़ लिया. किसानों ने वीडियो बनाकर अधिकारियों को भेजे और मदद की गुहार लगाई.
स्तर से ऊपर बह रही सोम नदी के किनारे बसे करीब 20 गांव के लोग दहशत में हैं. ग्रामीणों को डर है कि अगर बांध टूटा तो पिछले साल जैसी तबाही फिर लौट सकती है. पुलिस और प्रशासन के अफसर गांव-गांव जाकर तसल्ली दे रहे हैं, लेकिन ग्रामीण सिंचाई विभाग पर लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं. खुद SHO जगदीश चंद्र ने बताया कि पानी अभी आबादी से दूर है, लेकिन खतरा बना हुआ है.
दादूपुर नलवी नहर का पानी खेतों में घुस चुका है. किसानों का कहना है कि इससे उनकी जमीन की उपजाऊ शक्ति खत्म हो गई है. अब महीनों तक इन खेतों में फसल उगाना मुश्किल होगा. सिंचाई विभाग के एसई भी खुद मान रहे हैं कि सोम नदी में 17,700 और पथराला में 7,000 क्यूसेक पानी बह रहा है. बरसाती नदियों के किनारे तटबंध न होने के कारण, कई बार पानी खेतों में चला जाता है, लेकिन कुछ समय बाद पानी अपने आप लौट आता है. (आशीष शर्मा की रिपोर्ट)
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