देश के ज्यादातर हिस्सों में इस साल मॉनसून में झमाझम बारिश हुई और बहुत से राज्यों में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई. कई राज्यों और इलाकों में बाढ़ के भी हालात बने, जिससे फसलों को भारी नुकसान पहुंचा. यह स्थिति हरियाणा में भी बनी, जहां के किसानों ने अब फसल मुआवजे के लिए आवेदन किया तो हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं. ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 23 जिलों के 5.03 लाख किसानों ने 29.46 लाख एकड़ (लगभग 30 लाख एकड़) जमीन पर फसल नुकसान और खराब होने की जानकारी दर्ज कराई है. पोर्टल पर पंजीकरण की अंतिम तारीख 15 सितंबर थी, जिसके चलते किसान आखिरी समय तक दावा दर्ज कराते रहे.
पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, फसल नुकसान के मामले में जिले-वार आंकड़ों में भिवानी सबसे आगे रहा, जहां 76,419 किसानों ने 4,52,709 एकड़ जमीन पर फसल नुकसान रिपोर्ट किया. हिसार में 75,348 किसानों ने 4,54,045 एकड़ पर नुकसान दर्ज कराया. महेंद्रगढ़ में 67,652 किसानों ने 2,86,158 एकड़ जमीन प्रभावित होने की बात कही. सिरसा में 36,544 किसानों ने 2,43,908 एकड़ पर नुकसान की जानकारी दी.
इसके अलावा झज्जर के 25,739 किसानों ने 1,63,784 एकड़, रेवाड़ी के 27,310 किसानों ने 1,23,216 एकड़, चरखी दादरी के 43,922 किसानों ने 2,18,167 एकड़ और पलवल के 19,553 किसानों ने 1,16,887 एकड़ पर नुकसान का दावा किया. करनाल और पानीपत में नुकसान अपेक्षाकृत कम रहा. करनाल में 1,998 किसानों ने 15,571 एकड़ और पानीपत 106 किसानों ने 7,599 एकड़ पर दावे किए. पंचकूला में सिर्फ 383 किसानों ने 1,385 एकड़ पर नुकसान की रिपोर्ट दर्ज कराई.
दि ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, अब राजस्व विभाग ने दावों की बहुस्तरीय जांच शुरू कर दी है. पहले चरण में पटवारी फसल नुकसान के दावों की जांच कर रहे हैं. इसके बाद कानूनगो, सर्कल रेवेन्यू ऑफिसर, नायब तहसीलदार और तहसीलदार दोबारा जांच करेंगे. इसके बाद जिला राजस्व अधिकारी और एसडीएम दावों की पुष्टि करेंगे.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डिप्टी कमिश्नर करीब 5 प्रतिशत क्षेत्र की दोबारा जांच करेंगे और करीब 2 प्रतिशत क्षेत्र की जांच डिविजनल कमिश्नर करेंगे. सरकार ने 25 सितंबर तक पूरे सत्यापन की समयसीमा तय की है. राजस्व विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे जांच के दौरान अधिकारियों का सहयोग करें.
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