हरियाणा में AIKS का विरोध प्रर्दशनऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) की हरियाणा स्टेट कमेटी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार पर किसानों को सजा देने का आरोप लगाया है. कमेटी का कहना है कि ऐसे समय में जब किसान और खेतिहर मजदूर हाल ही में आई खतरनाक बाढ़ के असर से उबर भी नहीं पाए हैं, खरीफ फसलों की खरीद मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) पर नहीं की जा रही है. किसान सभा ने कहा है कि हरियाणा सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और एमएसपी पर उपजों की खरीद सुनिश्चित कराए.
इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए AIKS ने हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के आह्वान पर 10 नवंबर यानी सोमवार को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है. समिति ने कहा कि इन विरोध प्रदर्शनों में फसल के नुकसान के लिए तुरंत मुआवजा देने और युद्ध स्तर पर खेतों से जमा पानी निकालने की मांग की जाएगी.
यह फैसला AIKS की दो दिवसीय बैठक में लिया गया, जो रविवार को रोहतक में खत्म हुई. बैठक की अध्यक्षता मास्टर बलबीर ने की, जबकि AIKS के राष्ट्रीय वित्त सचिव कृष्ण प्रसाद और उपाध्यक्ष इंदरजीत सिंह भी मौजूद थे.
इंदरजीत सिंह ने कहा, "इन मुद्दों के अलावा, हम सरकार से खरीद घोटाले पर एक व्हाइट पेपर जारी करने, MNREGA का काम शुरू करने और भिवानी और दादरी में किसानों को मुश्किल में डालने वाली फसल बीमा में अनियमितताओं को दूर करने की मांग कर रहे हैं."
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि "सरकार राजनीतिक बदले की भावना से काम करती दिख रही है, यह दावा करते हुए कि किसानों और ग्रामीण समुदायों ने BJP का समर्थन नहीं किया, जिसने वोट में हेराफेरी और अन्य धोखाधड़ी के तरीकों से सत्ता हासिल की. अब यह साफ है कि इस नाजायज और भ्रष्ट सरकार को लोगों की आजीविका के मुद्दों की कोई चिंता नहीं है."
AIKS के राज्य महासचिव सुमित सिंह ने कहा कि संगठन की सभी जिला और ब्लॉक इकाइयों को BJP सरकार के पुतले जलाने और बड़े पैमाने पर कथित वोट धांधली के मद्देनजर इसे भंग करने की मांग करने का निर्देश दिया गया है.
एआईकेएस ने किसानों के मुद्दे को लगातार उठाया है. इससे पहले धान खरीद में गड़बड़ी और उठाव के मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था. संगठन का आरोप है कि सरकार की ओर से एमएसपी की घोषणा तो हो जाती है, मगर मंडियों में किसानों से सरकारी रेट पर खरीद नहीं होती. इससे किसान मंडियों में लाई गई उपज को वापस ले जाने के बजाय कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर होते हैं. किसानों को इससे बचाने के लिए हर साल में फसलों की एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित की जानी चाहिए.
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