चक्रवाती तूफान हमेशा बर्बादी लाने वाला ही नहीं होता. कभी-कभी यह मददगार भी साबित होता है. यही हाल गुजरात में देखने को मिला है जहां दो दिन पहले चक्रवात बिपरजॉय ने दस्तक दी थी. इस तूफान ने लोगों का बहुत नुकसान किया है. लेकिन कुछ अच्छे काम में भी इससे मदद मिली है. यह मदद खेती-किसानी को लेकर है. इस बार मॉनसून में कुछ देर है. मॉनसून की इस देरी ने खरीफ फसलों की बुआई का काम खराब किया है. लेकिन गुजरात में आए बिपरजॉय तूफान ने किसानों को राहत दिलाई है. किसान जहां कम बारिश की चिंता में परेशान हुए जा रहे थे. तो अब तूफान में हुई बारिश ने उनकी चिंता को दूर कर दिया है. हालत ये है कि पिछले चार-पांच दिनों में पर्याप्त बारिश हो गई है जिससे खेती का काम आसानी से निकल जाएगा.
गुजरात के कई इलाकों में चक्रवात बिपरजॉय की बारिश से किसान खुश हैं. बारिश के बाद किसानों ने मूंगफली और कपास की खेती शुरू कर दी है. खरीफ सीजन में इन दोनों फसलों की खेती सबसे प्रमुखता से की जाती है जिसमें चक्रवाती बारिश ने भारी मदद पहुंचाई है.
स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर (SEOC) की ओर से जारी डेटा के मुताबिक, गुजरात में पूरे सीजन में बारिश का औसत 877 एमएम है जबकि 12 जून तक प्रदेश के आठ जिलों में 2200 एमएम बारिश दर्ज की गई है. सामान्य तौर पर गुजरात में मध्य जून में खरीफ फसलों की बुआई का काम शुरू होता है जब दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की आमद हो जाती है. लेकिन इस बार केरल में मॉनसून देरी से आया और हफ्ते भर यह पीछे रहा. ऐसे में बिपरजॉय चक्रवात की बारिश ने किसानों को बहुत मदद की है.
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इस साल गुजरात में खरीफ फसलों की बुआई देरी से चल रही है क्योंकि मॉनसून में विलंब है. 12 जून तक केवल 2.62 लाख हेक्टेयर में ही बुआई का काम पूरा हुआ है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 10.24 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी. आंकड़ा बताता है कि इस साल अभी तक 65,135 हेक्टेयर में मूंगफली और 1.74 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती की गई है. पिछले साल इससे कई गुना अधिक मूंगफली और कपास की बुआई हुई थी.
15 जून को चक्रवात बिपरजॉय जखाऊ तट के नजदीक टकराया. यह तट कच्छ जिले में पड़ता है. इसके बाद कच्छ और सौराष्ट्र के कई इलाकों में भारी बारिश दर्ज की गई. बारिश और तेज आंधी-तूफान से कई तरह के नुकसान हुए, लेकिन खरीफ फसलों की बुआई में किसानों को मदद भी मिली है.
राजकोट जिले की बात करें तो यहां किसान नहर और कुएं के पानी की मदद से मूंगफली और कपास की खेती करते हैं. गुजरात कृषि विभाग के एक अधिकारी ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, राजकोट के अधिकांश इलाकों में खेती बारिश के पानी पर आश्रित है. इसलिए बारिश नहीं होने से बुआई का काम धीमा पड़ गया था. लेकिन चक्रवात ने पानी की जरूरतों को पूरा किया है. बारिश से किसान 15 जून की निर्धारित तारीख से फसलों की बुआई शुरू कर चुके हैं. चक्रवाती बारिश किसानों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं.
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मोरबी जिले के किसान जगदीश पटेल कहते हैं, चक्रवाती बारिश बिल्कुल समय पर हुई है. इससे कपास की बुआई समय पर करने में मदद मिल रही है. अब कपास और मूंगफली की खेती आसानी से की जा सकेगी. बस अब जरूरत इस बात की है कि अगले कुछ दिनों तक बारिश न हो, मौसम साफ रहे ताकि बुआई का काम किया जा सके. मौसम खुलने से किसानों को बड़ी मदद मिलेगी.
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