छत्तीसगढ़ में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर धान की सरकारी खरीद गत वर्ष 01 नवंबर काे शुरू हो गई थी. इस सीजन के लिए सरकारी खरीद आगामी 31 जनवरी तक होगी. केंद्र सरकार ने धान का Minimum Support Price 2185 रुपये प्रति कुंतल तय किया है. छत्तीसगढ़ सरकार इससे आगे जाकर किसानों से 21 कुंतल धान प्रति एकड़ की दर से 3100 रुपये प्रति कुंतल की कीमत पर खरीद रही है. राज्य सरकार किसानों को एमएसपी के रूप में 2185 रुपये प्रति कुंतल की दर से भुगतान करके शेष 915 रुपये प्रति कुंतल की दर से Bonus के रूप में दे रही है. इस प्रकार 3100 रुपये प्रति कुंतल की दर से किसानों को 21 कुंतल धान बेचने पर 65,100 रुपये मिल रहे हैं. यह राशि पिछले साल की तुलना में 25,500 रुपये ज्यादा है. राज्य के मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने धान खरीद की समीक्षा करते हुए भरोसा जताया कि इस सीजन में धान की खरीद के लक्ष्य 130 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खरीद होगी.
छत्तीसगढ़ सरकार ने चालू खरीफ सीजन के लिए 130 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद करने का लक्ष्य तय किया है. सरकारी खरीद में राज्य के कुल 26.62 लाख किसानों ने 33.28 लाख हेक्टेयर रकबे में उपजाई गई धान को बेचने के लिए Registration कराया है.
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गौरतलब है कि राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर प्रति एकड़ 21 कुंतल धान की बिक्री का लाभ पिछले सीजन में धान बेच चुके किसानों को भी मिलेगा. स्पष्ट है कि 01 नवंबर से अब तक पूर्व निर्धारित मात्रा के अनुरूप धान बेच चुके किसान, शेष उपज को 31 जनवरी तक बेच सकेंगे.
किसानों से खरीदी गई धान को चावल बनाने के लिए कस्टम मिलिंग हेतु भेजा जा रहा है. राज्य में धान की Custom Milling का काम सहकारी मिलों के फेडरेशन मार्कफेड द्वारा किया जाता है. Chhattisgarh Markfed के महाप्रबंधक की ओर से मुख्य सचिव को बताया गया कि राज्य में धान के सभी खरीद केंद्रों से उपज की खरीद के साथ कस्टम मिलिंग के लिए धान का उठाव भी निरंतर जारी है.
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राज्य में अब तक 86 लाख 62 हजार 842 मीट्रिक टन धान काे कस्टम मिलिंग हेतु चावल मिलों में भेजने का आदेश जारी किया जा चुका है. इसके एवज में मिलर्स द्वारा 63 लाख 15 हजार 722 मीट्रिक टन धान का उठाव कर लिया गया है. समीक्षा बैठक में जैन ने सभी जिलों में प्रशासन को धान खरीद केंद्रों पर किसानों को सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने और तौल की पारदर्शी प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने उपज की बिक्री के एवज में किसानों को समय से भुगतान करने को भी कहा है, जिससे किसान आगामी फसल की तैयारी बिना किसी वित्तीय संकट का सामना किए कर सकें.
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