छत्तीसगढ़ में धमतरी जिले के Progressive Farmer रमनलाल साहू ने Organic Farming को अपनाकर सफलता की ऐसी कहानी गढ़ी है, जो दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरक बन गई है. उन्होंने पूर्वजों द्वारा अपनाई गई खेती की पद्धति को फिर से व्यवहार में लाकर खेती को मुनाफे का सौदा बना लिया है. इससे साहू ने खेती में बढ़ती लागत, घटते मुनाफे और उपज को उचित बाजार न मिल पाने जैसी समस्याओं से भी निजात पा लिया है. जैविक खेती में नए नए प्रयोग कर रहे किसान रमनलाल साहू का उत्साहवर्धन करने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हाल ही में उन्हें सम्मानित भी किया. उनके द्वारा अपनाई जा रही खेती की पद्धति और प्रयोगों को इलाके के दूसरे किसान भी अपनाने लगे हैं. इस पद्धति में गांव वालों को आवारा गोवंश की समस्या से भी निजात पाने समाधान दिखने लगा है. साहू अब अन्य किसानों को जैविक खेती से अपने खेत का श्रृंगार कर खेती की उपज बढ़ाकर आमदनी में इजाफा करने का संदेश दे रहे हैं.
धमतरी जिले के गाड़ाडीह गांव के किसान रमनलाल साहू ने जैविक खेती को अपना कर खेती की लागत कम करने का सफल प्रयोग किया है. अब तक के अनुभव के आधार पर साहू ने बताया कि इससे Soil Fertility में काफी सुधार हुआ है. इस पद्धति को अपनाने से Crop Cycle भी दुरुस्त हुआ है. इससे वह Water Conservation का काम भी कर पा रहे है.
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साहू ने बताया कि मौजूदा दौर में नौकरी और व्यापार को तवज्जो दिए जाने के कारण खेती किसानी के काम को उतना महत्व नहीं दिया जाता है. इस कारण से खेती के प्रति लोगों के लगातार कम हो रहे रुझान को बढ़ाने के लिए Chhattisgarh Govt द्वारा किसानों के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं. इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बोनस देकर धान खरीदी सहित अन्य योजनाओं ने लोगों को खेती किसानी की ओर मुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया है.
सरकार का दावा है कि Agriculture Input Cost को कम करने में मददगार साबित हो रही प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली योजनाओं के कारण रमन लाल साहू जैसे अनेक प्रगतिशील किसान रासायनिक खेती से भी तौबा कर रहे हैं. इससे Farmers Income में भी इजाफा हो रहा है.
साहू ने बताया कि वह पिछले 8 सालों से 3 एकड़ से अधिक जमीन पर धान की जैविक खेती कर रहे हैं. जल संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ते हुए उन्होंने Rabi Season में दलहन और तिलहन की जैविक खेती करना भी शुरू कर दिया है. इससे जमीन की उर्वरकता बढ़ने के साथ ही फसल का उत्पादन भी बढ़ा है.
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साहू ने बताया कि जैविक या प्राकृतिक खेती को पशुपालन के बिना कर पाना संभव नहीं है. प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ रहे किसान अब गोवंश पालन की अनिवार्य शर्त को भी पूरा करने लगे हैं. इसके लिए उन्होंने गली-मोहल्लों में आवारा घूमने वाले गोवंश के लिए अपने खेत के समीप लगभग आधा बीघा जमीन में गौठान बना लिया है.
उन्होंने बताया कि इन गोवंशों से प्राप्त होने वाले गोबर का उपयोग जैविक खेती में किया जा रहा है. वहीं, गाय का दूध बेचकर वह हर माह लगभग 9 से 10 हजार रुपये की Net Profit भी प्राप्त कर रहे हैं.
साहू ने बताया कि उन्होंने खेत में छोटा सा तालाब बनाया है. इससे गौवंश के लिए पानी की व्यवस्था की है, वहीं PM KUSUM योजना में उन्हें सोलर पंप भी मिला है. इसके साथ ही गोबर गैस संयंत्र लगाकर वह परिवार के ईंधन की जरूरत को भी पूरा कर लेते हैं.
साहू अब गांव के अन्य किसानों को रासायनिक खेती के दुष्परिणामों के बारे में अवगत कराकर उन्हें जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. साथ ही अपनी गौशाला से उत्पादित गोबर, गोमूत्र को अपने खेतों में उपयोग करते हुए जहर मुक्त अन्न की पैदावार कर उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की व्यवस्था कर रहे हैं.
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