बिहार के मिथिलांचल और सीमांचल के खेतों में उगने वाला मखाना आज ‘सुपर फूड’ के रूप में विश्व के कई देशों तक अपनी पहचान बना चुका है. मखाना की खेती को और अधिक विस्तार देने के उद्देश्य से बिहार सरकार ने ‘एकीकृत बागवानी विकास मिशन’ अंतर्गत मखाना अवयव योजना को स्वीकृति दी है. इसके तहत दो वर्षों के लिए कुल 16 करोड़ 99 लाख 11 हजार 930 रुपये की स्वीकृति दी गई है.
उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 11 करोड़ 53 लाख 49 हजार 430 रुपये की निकासी और व्यय की स्वीकृति दी गई है, जबकि वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए 5 करोड़ 45 लाख 62 हजार 500 रुपये का प्रावधान किया गया है. इस योजना से राज्य के 16 जिलों के मखाना किसान लाभान्वित होंगे.
कृषि मंत्री ने बताया कि इस योजना का लाभ राज्य के 16 जिलों—कटिहार, पूर्णियां, दरभंगा, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया, समस्तीपुर, भागलपुर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और मुजफ्फरपुर—के किसानों को मिलेगा. इन क्षेत्रों में मखाना खेती का क्षेत्र बढ़ाने के लिए किसानों को उन्नत किस्म के बीज और परंपरागत उपकरण किट उपलब्ध कराई जाएगी.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मखाना की खेती दिसंबर माह से शुरू होकर अगस्त के अंतिम सप्ताह तक पूरी होती है. इसलिए इस योजना को दो वित्तीय वर्षों में लागू किया गया है. इसके तहत डीबीटी के माध्यम से पंजीकृत नए किसानों का चयन किया जाएगा, जो पहली बार खेत प्रणाली से मखाना की खेती करेंगे.
वहीं, मखाना खेती की इकाई लागत 0.97 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर निर्धारित की गई है, जिसमें बीज, अन्य इनपुट और कटाई की लागत शामिल है. किसानों को इसमें 75 प्रतिशत यानी 72,750 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दो किस्तों में दिया जाएगा.
कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों से मखाना की उन्नत किस्मों स्वर्ण वैदेही और सबौर मखाना-1 का बीज उत्पादन कराया जाएगा. बीज वितरण की व्यवस्था समिति की अनुशंसा पर एफपीसी और प्रगतिशील किसानों के माध्यम से चयनित किसानों तक की जाएगी. प्रत्येक किसान को न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) और अधिकतम 5 एकड़ (2 हेक्टेयर) तक लाभ मिलेगा.
मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि मखाना की खेती को लेकर किसानों को कई तरह के किट भी दिए जा रहे हैं. किसानों को पारंपरिक उपकरण जैसे औका/गांज, कारा, खैंची, चटाई, अफरा, थापी आदि उपलब्ध कराए जाएंगे. वहीं, प्रति किट की अनुमानित लागत 22,100 रुपये तय की गई है, जिसमें से 75 प्रतिशत यानी 16,575 रुपये प्रति किट का अनुदान दिया जाएगा.
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