बिहार में मखाने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. मखाना किसानों को खेती में आधुनिक तकनीक सहित अन्य जानकारियां देने के लिए दरभंगा में मखाना अनुसंधान केंद्र लगाया गया है. वहीं गुरुवार को कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने दरभंगा मखाना अनुसंधान केंद्र का दौरा किया. यहां उन्होंने एक ही खेत में मखाना-मछली-पानी फल सिघाड़ा को फसल चक्र के रूप में अपनाने को लेकर किसानों को प्रशिक्षित करने का आदेश दिया. उन्होंने बताया कि अगर किसान इस विधि से खेती करते हैं तो वे पूरे साल एक ही खेत से अधिक कमाई कर सकते हैं. इसके साथ ही इस विधि से खेती करने से जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा.
कृषि विभाग के सचिव ने अपने दौरे के दौरान मखाना अनुसंधान केंद्र स्वर्ण वैदेही, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर द्वारा विकसित सबौर मखाना-1 और मखाना के पारंपरिक बीज से उत्पादन और तालाब में उत्पादित मखाना के लाभ का तुलनात्मक अध्ययन करने का निर्देश भी दिया. उन्होंने में कहा कि मखाना के उन्नत बीज की किस्म उपलब्ध कराने के लिए अनुसंधान केंद्र को गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन और बीज की नई किस्में विकसित करने की आवश्यकता है.
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कृषि विभाग के सचिव ने कहा कि मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा में प्रशिक्षण केंद्र होने के बाद भी किसानों को प्रशिक्षण नहीं मिल रहा है. यह बिलकुल सही बात नहीं है. आगे उन्होंने अनुसंधान केंद्र के अधिकारियों को आदेश दिया कि प्रत्येक महीने किसानों को प्रशिक्षण दिया जाए. इसके लिए आत्मा से सहयोग लिया जा सकता है. आगे उन्होंने कहा कि किसानों को मखाना, मखाना-मछली-पानी फल सिघाड़ा, मखाना प्रसस्करण, मखाना के उत्पाद तैयार करने सहित अन्य विषयों पर प्रशिक्षण के लिए एक वार्षिक कैलेंडर तैयार किया जाए. इसी कैलेंडर के अनुसार मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा और भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णिया में किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी.
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मखाना अनुसंधान केंद्र में पिछले कई वर्षों से सिंचाई की बेहतर सुविधा नहीं है जिसको लेकर मखाना केंद्र के प्रभारी ने बताया कि पिछले कई वर्षों से बोरिंग नहीं होने के कारण खेती में समस्या उत्पन्न हो रही है. 20 एकड़ में से मात्र 02-03 एकड़ में ही खेती हो पा रही है. वहीं कृषि विभाग के सचिव द्वारा राज्य सरकार की निधि से बोरिंग उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.
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