बिहार में मानसूनी बारिश के बाद किसान धान की रोपाई करने में जुट गए हैं. फिर भी एक अच्छी बारिश के इंतजार में किसान आसमान की तरफ नजरें गड़ाए हुए हैं. भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक जुलाई महीने में भी अच्छी बारिश होने की संभावना नहीं दिख रही हैं. इसके साथ ही किसान अपनी धान की फसलों को बचाने में लगे हुए हैं. दूसरी ओर कभी तेज बारिश तो कभी कम बारिश की वजह से दलहन और सोयाबीन की खेती 7 दिनों तक पीछे हो चुकी है. पटना जिले के कृषि विज्ञान केंद्र की हेड रीता सिंह कहती हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर खरीफ के साथ सोयाबीन की फसलों पर भी पड़ा है. वहीं अगर किसान के पास सिचांई की बेहतर व्यवस्था नहीं है. तो वह धान के स्थान पर नकदी फसल सोयाबीन की खेती से बेहतर कमाई कर सकते हैं. इसके साथ ही जिन किसानों ने धान की रोपाई कर चुके हैं. उनके लिए फसल को बचाना किसी चुनौती से कम नहीं है.
राज्य में करीब 35 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान की खेती की जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब तक करीब 8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही धान की रोपनी हो पाई है. करीब 22 प्रतिशत ही अब तक धान की रोपाई हुई है. कृषि विभाग के द्वारा 31 जुलाई तक धान की रोपनी के लिए आदर्श समय माना गया है.लेकिन पिछले साल अगस्त के मध्य तक धान की रोपनी हुई थी जिसकी वजह से किसानों को एक उम्मीद दिख रही है. मौसम विभाग के अनुसार आने वाले चार दिनों के दौरान राज्य में 2 से 4 डिग्री तक तापमान में बढ़ोतरी की संभावना है जिससे उमस भरी गर्मी लोगों को सताएगी.
राज्य में औसत बारिश की तुलना में इस साल अब तक करीब 33 से 34 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है. अच्छी बारिश नहीं होने से किसानों को धान की रोपाई के लिए पंपसेट का सहारा लेना पड़ रहा है. राज्य के विभिन्न जिलों के किसानों में दरभंगा जिले के रहने वाले धीरेन्द्र सिंह, कैमूर जिले के अजय सिंह, उदय सिंह, पटना जिले के किसान राजेश कुमार सहित सूबे के अन्य किसानों का कहना है कि धान की नर्सरी अब खेतों में रोपने के लायक हो चुकी है. जिसके चलते उसे समय से रोपना बेहद जरूरी है. लेकिन अभी तक धान की फसल लायक बारिश नहीं होने की वजह से खेतों में तेजी से रोपनी नहीं हो पा रही है. पंपसेट की मदद से लगे हुए धान की फसल को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही बिजली की हो रही कटौती की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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पटना कृषि विज्ञान केंद्र की हेड रीता सिंह कहती हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर खरीफ के साथ सोयाबीन की फसलों पर भी पड़ा है. मौसम के बदलते मिजाज की वजह से सोयाबीन की फसल करीब एक सप्ताह तक पीछे हो चुकी है. वहीं इसका असर उत्पादन पर देखने को मिल सकता है. लेकिन जो किसान अभी तक धान की खेती नहीं कर पाए हैं. वे पानी के निकास वाली खेतों में सोयाबीन की खेती कर सकते हैं. धान की तुलना में अधिक कमाई सोयाबीन की खेती से कर सकते हैं. पटना जिले के विष्णुपुरा गांव के किसान सेवा समूह के तहत करीब 35 किसानों के द्वारा 60 एकड़ में सोयाबीन की खेती हो रही है. इसी समूह के किसान अभिजीत सिंह कहते हैं कि सोयाबीन की खेती 30 जून तक हो जानी चाहिए. लेकिन बीच में मौसम के बदले मिजाज की वजह से अब खेती शुरू हुई है. यानि रबी सीजन में गेहूं की खेती दस दिनों तक पीछे हो जाएगी.
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