खेती में नई तकनीक से किसानों को काफी लाभ हो रहा है. टिशू कल्चर (Tissue culture) तकनीक की वजह से बिहार ने केला उत्पादन में रिकॉर्ड बना दिया है. यहां केला उत्पादन में गुणात्मक वृद्धि हुई है. बिहार सरकार ने कहा है कि प्रदेश में 2005-06 में केला का उत्पादन सिर्फ 9,20,044 मिट्रिक टन था, जो 2019-20 में बढ़कर 1,97,587.42 मिट्रिक टन हो गया है. न सिर्फ केले की खेती का विस्तार हुआ है बल्कि उत्पादकता में भी काफी वृद्धि हो गई है. सरकार ने दावा किया है कि यह उपलब्धि राज्य के कृषि रोडमैप की वजह से मिली है.
बिहार में पहले प्रति हेक्टेयर केले की उत्पादकता 32.87 मिट्रिक टन थी, जो अब बढ़कर 46.07 मिट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो गई है. यानी उत्पादकता में प्रति हेक्टेयर 13 मीट्रिक टन से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है. यहां वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, कटिहार और मधेपुरा आदि में बड़े पैमाने पर केले की खेती हो रही है. इसकी खेती से किसानों को अच्छा फायदा मिल रहा है. आइए जानते हैं केले की टिश्यू कल्चर तकनीक क्या है और इसके लाभ क्या हैं
टिश्यू कल्चर यानी ऊतक संवर्धन विधि द्वारा केले की उन्नत प्रजातियों के पौधे तैयार किए जाते हैं. इस तकनीक द्वारा तैयार पौधों से केलों की खेती करने कई लाभ हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ रही है. टिश्यू कल्चर वाले पौधे स्वस्थ एवं रोग रहित होते हैं, इसलिए किसानों को फायदा होता है. खर्च कम हो जाता है. पौधों की वृद्धि समान रूप से होती है. इसलिए सभी पौधों में पुष्पन, फलन एवं घौंद की कटाई एक साथ होती है, जिसकी वजह से इसकी मार्केटिंग में किसानों को काफी सुविधा मिलती है.
बिहार में अब काफी किसान ज्यादा फायदा कमाने के लिए टिश्यू कल्चर से तैयार पौधे से केले की खेती कर रहे हैं. इससे तैयार पौधों में फलन लगभग 60 दिन पूर्व हो जाता है. ऐसे में रोपाई के 12-14 महीने में ही केले की पहली फसल आ जाती है. औसत उपज 30-35 किलोग्राम प्रति पौधा तक मिल जाती है. वैज्ञानिक विधि से खेती करके 60 से 70 किग्रा की उपज भी ली जा सकती है. कुल मिलाकर परंपरागत तरीके से की जाने वाली केले की खेती के मुकाबले टिश्यू कल्चर वाली खेती ज्यादा फायदेमंद है.
टिश्यू कल्चर में पौधे के ऊतकों का एक छोटा टुकड़ा उसके बढ़ते हुए ऊपरी हिस्से से लिया जाता है. इस टिश्यू के टुकड़े को एक जैली में रखा जाता है जिसमें पोषक तत्व और प्लांट हार्मोन होते हैं. ये हार्मोन पौधे के ऊतकों में कोशिकाओं को तेजी से विभाजित करते हैं और इनसे कई कोशिकाओं का निर्माण होता है.
टिश्यू कल्चर वाले पौधे जो किसी भी तरह के कीट और रोग से मुक्त होते हैं. पौधों में किसानों को एक के बाद एक, दो अंकुरण मिल सकते हैं और इससे खेती की लागत में भी कमी आती है. सभी पौधे एक समान होते हैं और यही वजह है कि उत्पादन में भी अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिलती है. फसल कम समय में तैयार हो जाती है.
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