Mathura News: यूपी के मथुरा में गौशालाओं को स्वावलंबी बनाए जाने के उद्देश्य से गौ आधारित विभिन्न उत्पाद तैयार करने की पहल जिला प्रशासन ने की है. इसी पहल के तहत दिवाली पर जिले की ग्रामीण महिला सहायता समूह गाय के गोबर से दीपक (Cow Dung Deepak) बनाने का काम किया है. मथुरा प्रशासन द्वारा बीते दिनों दिवाली से पहले एक ऑनलाइन लिंक की शुरुआत की थी. जिसके जरिये स्वयं सहायता समूह के द्वारा बनाये गोबर से बने प्रॉडक्ट्स को Flipkart से लेकर Amazon पर ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध कराया था.
मथुरा के सीडीओ मनीष मीना ने इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों के 51 प्रोडक्ट्स को आनलाइन प्लेटफार्म अमेजन पर रजिस्ट्रेशन किया गया है. जिनके NIC द्वारा विकसित कॉमन लिंक की शुरुआत की गई थी. जिससे मथुरा जनपद की वेबसाइट mathura.nic.in/brij-raj/पर समूहों द्वारा बनाए सभी ऑनलाइन प्रोडक्ट्स मिल जाएंगे. जिसका नाम ब्रजरज स्टोर रखा गया है.
मनीष मीना ने आगे बताया कि मथुरा के करीब 104 स्वयं सहायता समूहों की 670 महिलाओं को गोबर से कई तरह के प्रोडक्ट बनाने के लिए ट्रेनिंग दिलाई गई थी. जिनमे गोबर से बने दीपक, पेंट, समेत कई तरह के उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बेच कर महिलाओं खुद अपनी कमाई कर रही है. ब्रजरज स्टोर के अलावा यह सभी प्रॉडक्ट्स आमेजन पर भी बिक्री के लिए उपलब्ध कराये गये थे. उन्होंने बताया कि 250 रुपये के एक पैक जिसमें दीये, लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति समेत कई अलग-अलग प्रोडक्ट मौजूद है. सीडीओ ने बताया कि अबतक कुल 2000 से अधिक पैकेट की बिक्री हो चुकी है. वहीं Flipkart से लेकर Amazon पर ऑनलाइन बिक्री की डिमांड तेजी से आ रही है.
12 दिए
4 बड़े दिए
4 स्वास्तिक
4 लक्ष्मी गणेश के पैरों के निशान
2 लक्ष्मी गणेश की मूर्ति
2 बड़े शंख
2 हवन कुंड
सीडीओ मनीष मीना ने बताया कि इन दीपकों को बनाने के लिए तीन भाग गोबर और एक भाग मिट्टी का प्रयोग किया जाता है. इन्हें आग में नहीं पकाया जाता है बल्कि छांव में सुखाया जाता है. सूखने के बाद इनको कलर किया जाता है. इन दीयों को बनाने के बाद इनमें मोम भरकर बाती लगाई जाती है. इस प्रकार तैयार किया गया दीपक लगभग 40-50 मिनट तक प्रज्वलित रहता है. आगामी समय में जिला प्रशासन देश के विभिन्न स्थानों पर इसका प्रचार-प्रसार करेगा.
उन्होंने बताया कि गोबर से बनाए गए दीपक जहां एक ओर वातावरण को प्रदूषित होने से बचाते हैं वहीं वातावरण को भी शुद्ध कर देते हैं. इन दीयों से निकलने वाला धुआं आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाता है और सबसे अच्छी बात यह है कि ये दीपक आसानी से नष्ट हो जाते हैं. इन दीयों का उपयोग करने के बाद इन्हें गमले में डाल देने पर यह खाद का भी काम करेंगे. इन दीयों के वैदिक लाभ की बात करें तो यह दीपक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं तथा वास्तु दोष से भी मुक्ति मिलती है. इस पूरे कार्यक्रम में मथुरा की डीपीआरओ किरन चौधरी की अहम भूमिका रही.
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