
इटावा में किसानों के साथ-साथ शहरवासी भी आवारा गोवंशों से परेशान हैं. यहां तक कि मंडी में दुकानदार और सड़क चलते राहगीर भी दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. इटावा में सैकड़ों की संख्या में आवारा गोवंश शहर की सड़कों और मंडियों के आसपास कूड़ा खाते दिख जाते हैं. नगर पालिका कर्मचारी का दावा है कि आवारा गोवंश को पकड़ने जाते हैं तो पशुपालक हमला कर देते हैं. इन आवारा पशुओं की संख्या अधिक होने पर गौशालाएं भी लेने से मना कर देती हैं. दूसरी ओर इटावा के सीवीओ का दावा है कि 31 मार्च तक 11 हजार से अधिक गौवंश गौशालाओं में संरक्षित किए जा चुके हैं. इटावा जनपद में 74 गौशालाएं संचालित हैं.
उत्तर प्रदेश में गोवंश का मुद्दा विपक्ष लगातार उठाता रहा है. इसे देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31 मार्च तक सभी गोवंशों को संरक्षित करने का निर्देश दिया था. इस पर अमल के लिए पशुपालन विभाग तैयारी से जुट गया. इटावा के पशुपालन विभाग का दावा है कि 11 हजार से अधिक गोवशों को गौशालाओं में संरक्षित कर दिया गया है. उसका दावा है कि लक्ष्य को 104 परसेंट पूरा कर लिया गया है. इटावा में अभी 74 गौशालाएं संचालित हैं, जिनमें गोवंश संरक्षित हैं. जब इस बात का रियलिटी टेस्ट करने के लिए 'आज तक' की टीम पहुंची तो देखा कि इटावा के नवीन मंडी में सैकड़ों गोवंश आवारा घूम रहे हैं जिससे मंडी व्यापारी परेशान हैं.
आवारा गोवंश सड़कों पर भी घूमते दिख रहे हैं जो खेतों में प्रवेश कर फसलों को नुकसान करते हैं. किसान रात-दिन रखवाली करते हुए आवारा गोवंश से दुखी हैं. आवारा घूम रहे गोवंश को इटावा नगरपालिका की टीम पकड़ कर ले जाती है, लेकिन टीम के लीडर शैलेंद्र कुमार की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि जब आवारा गोवंशों को पकड़ते हैं, तो उनके पशुपालक आकर घेर लेते हैं, पकड़ने से मना करते हैं और कभी-कभी हमलावर भी हो जाते हैं. इस कारण से सभी गोवंश को पकड़ा नहीं जा सकता.
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दूसरी कठिनाई गौशालाओं में जगह की कमी है जहां अधिक गोवंश होने के कारण गौशालाएं भर चुकी हैं. ऐसे में संचालक गोवंशों को लेने से मना कर देते हैं. एक ये भी वजह है जिससे आवारा गोवंश सड़कों पर छुट्टा घूमते हैं. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एम. के. गुप्ता के अनुसार समय रहते गोवंश संरक्षित कर लिए गए हैं. अतिरिक्त दो वृहद गौशालाओं का निर्माण हो रहा है. 74 आश्रय स्थल बने हुए हैं और 550 पंजीकृत संरक्षित गोवंश हैं.
डॉक्टर गुप्ता कहते हैं, हम लोगों को लक्ष्य मिला था उससे 104 परसेंट आवारा गोवंश संरक्षित कर लिए हैं. अब तक 11066 गोवंश पकड़ लिए गए हैं. इटावा जनपद में 74 गौशाला संचालित हैं जिसमें 550 पंजीकृत गोवंश हैं. इसी के साथ दो वृहद गौशालाओं का निर्माण चल रहा है, वह भी दो माह में संचालित हो जाएंगी.
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दूसरी ओर मंडी व्यापारी शिशुपाल कहते हैं कि सरकार के निर्देश का कोई पालन नहीं हो रहा है. सैकड़ों जानवर मंडी में घूमते रहते हैं, लड़ जाते हैं तो लोगों को चोट लग जाती है. जैसे ही सब्जी आती है, आवारा पशु उसे खा जाते हैं. विभाग किसी भी तरह का काम नहीं कर रहा है. किसान राजबहादुर कहते हैं, हमारी पकी फसल खेतों में खड़ी है. आवारा पशु उसमें घुस कर बर्बाद कर देते हैं. ये आवारा पशु कागजों में केवल संरक्षित किए हैं. आज हालत ये है कि हमें दिन-रात रखवाली करनी पड़ रही है.
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