चौंकने की जरूरत नहीं है, अब यह हकीकत है कि गाय भैंस खरीदने या बेचने के लिए पशु हाट में जाना जरूरी नहीं है. तकनीक के इस दौर में बाजार का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया है. वाहन से लेकर घर, मकान और दुकान तक, हर चीज की ऑनलाइन खरीद फरोख्त हो रही है. इसकी जद में गाय भैंस भी आ गई हैं. जिस तरह से मवेशियों की खरीद फरोख्त के लिए यूपी, बिहार और महाराष्ट्र सहित सभी राज्यों में नियमित तौर पर तमाम मशहूर पशु मेले आयोजित होते हैं. इसी तर्ज पर अब न सिर्फ दुधारू जानवरों की ऑनलाइन हाट लगने लगी है, बल्कि आज के हाईटैक किसान अब मोबाइल एप के जरिए गाय भैंस की खरीद फरोख्त भी करने लगे हैं.
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गाय भैंस की ऑनलाइन शॉपिंग, सुनने में भले ही अजीब लगे, मगर, अब यह हकीकत बन चुकी है. साइबर स्पेस में दो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, गाय भैंस की खरीद फरोख्त के लिए इन दिनों खासे चर्चा में हैं. इनमें से एक प्लेटफार्म है Animall.in (एनीमॉल डॉट इन) . यह प्लेटफार्म सिर्फ गाय और भैंस की खरीद एवं बिक्री तक सीमित है.
इसके अलावा दूसरा बड़ा ऑनलाइन प्लेटफार्म है Animal sales. इस पर गाय भैंस के अलावा भेड़, बकरी और ऊंट सहित उन सभी दुधारू एवं पालतू पशुओं की खरीद फरोख्त होती है, जिन्हें किसान अपने पशु धन के रूप में पालते हैं. पशु धन की खरीद फरोख्त के लिए, मोबाइल एप के रूप में उपलब्ध, ये दोनों ही प्लेटफॉर्म किसानों के बीच खासे लोकप्रिय हो गए हैं.
इस एप से जुड़े बांदा के युवा प्रगतिशील किसान जितेन्द्र गुप्ता ने बताया कि टेली शॉपिंग के इस जमाने में हाट या बाजार में जाने की कोई जहमत नहीं उठाना चाहता है. ऐसे में किसान भी अपने गांव के आसपास की मशहूर पशु हाट के चक्कर लगाना पसंद क्यों करे. जबकि पशु मेलों में उसी इलाके की नस्ल के जानवर मिलते हों, वहीं, ऑनलाइन हाट में देश में पाई जाने वाली हर नस्ल के दुधारू पशु उपलब्ध हों.
गुप्ता ने कहा कि सैकड़ों मील दूर चलकर किसान पशु मेले में जाने के बजाय मवेशियों की ऑनलाइन खरीद फरोख्त काे अपने लिए ज्यादा मुफीद मानते हैं. गुप्ता ने कहा कि ये दोनों मोबाइल ऐप किसानों को पशुधन के क्रेता और विक्रेता को जोड़ने का एक मंच मुहैया कराते हैं.
इन दोनों एप का सब्सक्राइबर बेस लगातार मजबूत हो रहा है. इससे पता चलता है कि ये दोनों ऐप किसानों में तेजी से अपनी पकड़ को मजबूत बना रहे हैं. इनके ऑनलाइन आंकड़ों के मुताबिक मोबाइल ऐप Animal Sales को अब तक 50 हजार से ज्यादा किसान डाउनलोड करके इसका इस्तेमाल कर चुके हैं. जबकि Animall.in का सब्सक्राइबर बेस 1 लाख के आंकड़े को पार कर गया है.
गुप्ता ने बताया कि ऑनलाइन शॉपिंग के मामले में Animall.in की स्टार रेटिंग भी 4.7 हो गई है, जबकि Animal Sales की स्टार रेटिंग 4.0 है. साइबर जानकारों इसे बेहतर स्टार रेटिंग की श्रेणी में माना जाता है. Animall.in का दावा है कि दो साल में इस ऐप के माध्यम से 8.5 लाख मवेशियों की खरीद फरोख्त हुई. इससे 4 हजार करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ.
जो भी किसान इन ऐप के जरिए पशुओं की खरीद फरोख्त करना चाहते हैं, उन्हें अव्वल तो अपने फोन पर इन ऐप को डाउनलोड करना होगा. इसके बाद खरीददार किसान जिस नस्ल की गाय, भैंस, भेड़, बकरी और मुर्गा मुर्गी खरीदना चाहते हैं, उन्हें अपनी पसंद की नस्ल के पशु का चयन करना होगा. इसके साथ ही उस नस्ल के उपलब्ध पशुओं की ताजा तस्वीरें एवं वीडियो के अलावा उम्र, सेहत और अन्य जरूरी जानकारियां स्क्रीन पर नुमांया हो जाती हैं. इन जानकारियों का अवलोकन कर किसान अपनी पसंद के किसी विक्रेता से पशुधन खरीद सकते हैं. इस बीच क्रेता और बिक्रेता के मध्य चैटबॉक्स के जरिए मोलभााव भी किया जा सकता है.
गुप्ता ने बताया कि ये दोनों एप किसानों के लिए पूरी तरह से निशुल्क सेवा मुहैया कराते हैं. इन्हें डाउनलोड करने या जानवरों की खरीद फरोख्त करने के लिए किसानों से कोई पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाता है. इन दोनों ऐप के माध्यम से किसान, न केवल पशुधन की खरीद फरोख्त करते हैं, बल्कि अपने दुधारू पशुओं की बीमारी एवं इलाज आदि की जानकारी पशु चिकित्सक से ले सकते हैं. चिकित्सा परामर्श सेवा की भी किसान से कोई फीस नहीं ली जाती है.
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