योगी सरकार द्वारा संचालित 'समर्थ उत्तर प्रदेश- विकसित उत्तर प्रदेश @2047' अभियान निरंतर जनभागीदारी और सुझावों के साथ आगे बढ़ रहा है. सरकार द्वारा विकसित पोर्टल samarthuttarpradesh.up.gov.in पर अब तक करीब दो लाख फीडबैक दर्ज किए जा चुके हैं. इनमें से ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 1.35 लाख और नगरीय क्षेत्रों में करीब 65 हजार फीडबैक प्राप्त हुए. इसी क्रम में कृषि कार्य से जुड़े अधिकांश किसान पशुपालन भी करते हैं, किंतु बीते कुछ वर्षों में पशु आहार बनाने वाले फैक्ट्री संचालक महंगाई से बचने अथवा अधिक लाभ कमाने की दृष्टि से पशु आहार में मिलावट करने लगे हैं.
इसके कारण पशुओं का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है. इस पर रोक लगाने के लिए एक ऐसा स्कैनर ऐप विकसित किया जाए, जो न केवल पशु आहार की शुद्धता की पहचान कर सके, बल्कि पशु को स्कैन करते ही उसकी नस्ल, दूध उत्पादन क्षमता तथा स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी उपलब्ध करा सके. साथ ही, पशुपालन, मत्स्य पालन और मधुमक्खी पालन से जुड़े लोगों को बीमा के दायरे में लाया जाए, क्योंकि मधुमक्खी पालकों को बॉक्स चोरी होने तथा मछली पालकों को तालाब में अराजक तत्वों द्वारा विष डालकर मछलियों को मार देने या चोरी होने का खतरा बना रहता है.
कृषि एवं संबद्ध सेक्टर से जुड़े सुझावों की संख्या उल्लेखनीय रही. किसानों ने आधुनिक तकनीकों को अपनाने, जल उपयोग की नई विधियों के प्रति जागरूकता, पीएमडीएमसी जैसी आधुनिक सिंचाई प्रणाली लागू करने और हर किसान के घर पर बायो गैस संयंत्र स्थापित करने पर बल दिया.
इसके अलावा ड्रिप सिंचाई, सौर ऊर्जा आधारित पंप, बेहतर बीजों का प्रयोग, ई-मार्केटिंग प्लेटफॉर्म और डिजिटल किसान मंडियों के माध्यम से कृषि उत्पादों को बाजार से जोड़ने, भंडारण और कोल्ड स्टोरेज की सुविधाएं गांव-गांव तक पहुंचाने तथा कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के सुझाव सामने आए.
किसानों ने रियायती दरों पर उन्नत किस्म के बीज, उर्वरक, कीटनाशक और उपकरण उपलब्ध कराने, सहकारिता विभाग से सस्ती साख सुविधा, फसलों के लिए उचित समर्थन मूल्य की गारंटी तथा व्यवसायिक फसलों को बढ़ावा देने जैसी मांगें भी रखीं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने इसरो (ISRO) के सहयोग से आपदा प्रबंधन में आधुनिक तकनीक जोड़ने की पहल की है. इसके तहत मौसम पूर्वानुमान और आपदा राहत के लिए सैटेलाइट लांचिंग का प्रयास किया जा रहा है. इससे बाढ़, भूकंप और हीटवेव जैसी आपात स्थितियों की रीयल-टाइम जानकारी मिलेगी और राहत कार्य तेजी से किए जा सकेंगे.
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