महज 10वीं तक की पढ़ाई, दुग्ध उत्पादन में बनाया रिकॉर्ड, पढ़िए बाराबंकी के लवलेश कुमार की कहानी

महज 10वीं तक की पढ़ाई, दुग्ध उत्पादन में बनाया रिकॉर्ड, पढ़िए बाराबंकी के लवलेश कुमार की कहानी

10वीं तक पढ़ाई करने के बाद लवलेश कुमार का रुझान डेयरी फार्मिंग कर तरफ बढ़ने लगा. हमारे पास साहीवाल नस्ल की गाय को हम हरियाणा के जींद जिले से लेकर आए थे. उस वक्त एक गाय की कीमत 80 हजार रुपये थी.

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महज 10वीं तक की पढ़ाई, दुग्ध उत्पादन में बनाया रिकॉर्ड, पढ़िए बाराबंकी के लवलेश कुमार की कहानीडेयरी फार्मिंग करने वाले बाराबंकी के गणेशपुर गांव निवासी लवलेश कुमार (Photo-Kisan Tak)

Animal Husbandry: कृषि प्रधान देश में पशुपालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय बन चुका है. जो वर्तमान समय में पशुपालकों के लिए कमाई का बड़ा जरिया बन गया है. आज हम यूपी के बाराबंकी के एक किसान की सफल कहानी बताने जा रहे हैं, जो देसी नस्ल की गाय को पालकर डेयरी फार्मिंग से एक साल 4-5 लाख की कमाई कर रहे है. महज 10वीं पास इस किसान का नाम है लवलेश कुमार, जो बाराबंकी के गणेशपुर के उधौली गांव के रहने वाले हैं. इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में लवलेश ने बताया कि पशुपालन का कार्य हम 2000 से कर रहे है, लेकिन 2017 से हम पराग डेयरी से जुड़े थे. इस समय 18 साहीवाल गाये हैं. उन्होंने बताया कि एक दिन में सुबह-शाम मिलाकर 80-90 लीटर दूध उत्पादन हो जाता है. 

हरियाणा से खरीदकर लाए थे साहीवाल नस्ल की गाय

गणेशपुर के उधौली गांव निवासी लवलेश कुमार बताते हैं कि दूध का सप्लाई हम लोकल मार्केट में नहीं करते है, क्योंकि 2017 से हमारा दूध पराग डेयरी को जा रहा हैं. 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद लवलेश कुमार का रुझान डेयरी फार्मिंग कर तरफ बढ़ने लगा. हमारे पास साहीवाल नस्ल की गाय को हम हरियाणा के जींद जिले से लेकर आए थे. उस वक्त एक गाय की कीमत 80 हजार रुपये थी. धीरे-धीरे गायों की सख्या बढ़ती गई. मौजूदा वक्त में मेरे पास 18 साहीवाल नस्ल की गाय हैं. 

पशुपालन व डेयरी उद्योग बेहतर विकल्प

प्रदेश में देसी नस्ल की गायों के लिए रिकॉर्ड उत्पादन के लिए नंद बाबा पुरस्कार से सम्मानित बाराबंकी के गणेशपुर के उधौली गांव निवासी लवलेश कुमार बताते हैं कि पशुपालन और डेयरी उद्योग में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे है. उन्होंने बताया कि 2017 से देसी गायों के दूध में विकास के लिए नंदबाबा पुरस्कार शुरु हुआ था. इसकी जानकारी मिली तो राह और आसान हो गई. स्वरोजगार के लिए पशुपालन व डेयरी उद्योग काफी बेहतर विकल्प है.

एक महीने में 2,700 लीटर दूध की पैदावार

किसान लवलेश ने योगी सरकार से अपील करते हुए कहा कि हर जिला स्तर पर गोबर खरीदकर कंपोस्ट खात बनवाने का प्लांट लगवाना चाहिए. जिससे हम लोगों की आय भी डबल होगी, दूसरा गोबर का सही इस्तेमाल हो सकेगा. सालाना आमदनी के सवाल पर उन्होंने कहा कि एक महीने में 2,700 लीटर दूध की पैदावार हो रही है. एक लीटर दूध 40 से 45 रुपये के रेट से बिक जाता है. वहीं कुछ गाय कभी बीमार होने के कारण दूध नहीं देते. ऐसे में एक साल में 4-5 लाख की कमाई लगात निकालने के बाद हो जाती है. 

साहीवाल गाय की खासियत

लवलेश कुमार ने आगे बताया कि साहीवाल गाय का गहरा शरीर, ढीली चमड़ी, छोटा सिर व छोटे सींग इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं इसका शरीर साधारणत: लंबा और मांसल होता है. इनकी टांगें छोटी होती हैं, स्वभाव कुछ आलसी और इसकी खाल चिकनी होती है. पूंछ पतली और छोटी होती है.

यह गाय लाल और गहरे भूरा रंग की होती है कभी-कभी इसके शरीर पर सफेद चमकदार धब्बे भी होते हैं. ढीली चमड़ी होने के कारण इसे लोग लोला भी कहते हैं. नर साहिवाल के पीठ पर बड़ा कूबड़ होता है व इसकी ऊंचाई 136 सेमी और मादा की ऊंचाई 120 सेमी के आसपास होती है. नर गाय का वजन 450 से 500 किलो और मादा गाय का वजन 300- 400 किलो तक होता है.

साहीवाल गाय का दूध उत्पादन

गणेशपुर के उधौली गांव निवासी लवलेश कुमार ने बताया कि साहीवाल गाय 10 से 16 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है. अपने एक दुग्धकाल के दौरान ये गायें औसतन 2270 लीटर दूध देती हैं. साथ ही इसके दूध में पर्याप्त वसा होता है. ये विदेशी गायों की तुलना में दूध कम देती हैं, लेकिन इन पर खर्च भी काफी कम होता है. साहीवाल की खूबियों और उसके दूध की गुणवत्ता के चलते वैज्ञानिक इसे सबसे अच्छी देसी दुग्ध उत्पादक गाय मानते हैं.


 

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