वर्ल्ड वेटनरी डे के मौके पर हम बात कर रहे हैं आर्टिफिशियल इंसेमीनेशन (एआई) तकनीक की. बात शुरू करने से पहले बता दें कि हर साल अप्रैल महीने के आखिरी शनिवार को दुनिया भर में वर्ल्ड वेटनरी डे मनाया जाता है. इस बार 29 अप्रैल को यह दिन मनाया जा रहा है. इसी के साथ हम बात कर रहे हैं आर्टिफिशियल इंसेमीनेशन तकनीक की. ये वो तकनीक है जिसका इस्तेमाल गाय-भैंस और भेड़-बकरी पर किया जा रहा है. इस तकनीक की मदद से देश के वेटनरी साइंटिस्ट्स ने कई कीर्तिमान रचे हैं. आज छोटे-बड़े सभी पशु पालक इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं. जैसे किसी किसान को ज्यादा दूध देने वाली बकरी चाहिए तो उसकी भी ख्वाहिश पूरी हो रही है. अगर कोई चाहता है कि उसकी बकरी ज्यादा वजन वाले बकरे को जन्म दे तो उसका भी ख्याल रखा जा रहा है.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में इस तकनीक का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि यह तकनीक गाय-भैंस पर भी काम करती है. डेयरी फार्म में तो सिर्फ ज्यादा दूध देने वाली ज्यादा से ज्यादा बछिया पैदा की जा रही हैं. इस तकनीक की मदद से ही ज्यादा दूध देने वाली गिर गाय और मुर्रा भैंस का कुनबा बढ़ाने की कोशिशें भी चल रही हैं.
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सीआईआरजी की सीनियर साइंटिस्ट चेतना गंगवार का कहना है कि आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक से बकरियों को गाभिन किया जा रहा है. इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बकरी को एक अच्छे नस्लीय बकरे का वीर्ये मिल जाता है. जिससे बकरी अच्छे और स्वास्थ बच्चे को जन्म देती है.
दूसरा यह कि किसान जाने-अनजाने में बकरी को गाभिन कराने के लिए एक ऐसे बकरे के पास ले जाते हैं जिसके बारे में उन्हें यह भी पता नहीं होता कि बकरा उस नस्ल का है भी या नहीं कि जिस नस्ल की उनकी बकरी है.बकरे की बीमारियों और उसकी फैमिली के बारे में भी किसानों को कोई बहुत ज्याकदा जानकारी नहीं होती है.
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डॉ. चेतना गंगवार ने यह भी बताया कि आर्टिफिशल इंसेमीनेशन से बकरी को गाभिन कराने के लिए संस्थान वीर्य की स्ट्रॉ भी बेचता है. सिर्फ लागत रेट पर यह स्ट्रॉ बेची जाती हैं. नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत यह स्कीम चलाई जा रही है. एक स्ट्रॉ की कीमत 25 रुपये होती है. जबकि किसान जब बकरी को लेकर बकरे के पास जाता है तो उसे 150 से 200 रुपये देने होते हैं. स्ट्रॉ के साथ एक सुविधा यह भी है कि किसान को उस बकरे और उसकी मां के बारे में पूरी जानकारी यानि फैमिली ट्री भी दिया जाता है.
फैमिली ट्री किसान को देने से उसके पास भी यह रिकॉर्ड रहेगा कि बकरे की मां कितना दूध देती थी. खुद बकरे का वजन कितना था. वो फुर्तीला और बीमारियों से मुक्त था या नहीं और इतना ही नहीं संस्थान एक से ज्यादा बकरों के वीर्य की स्ट्रॉ अपने स्टॉक में रखता है. इसलिए अगर आपको एक बकरा पसंद नहीं आया तो दूसरे और दूसरा नहीं तो तीसरे, चौथे समेत कई बकरों के बीच वीर्य का चुनाव कर सकते हैं.
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