White Revolution 2: पशुपालकों से 4 लेवल पर सीधे जुड़ा है वाइट रेवोलुशन-2

White Revolution 2: पशुपालकों से 4 लेवल पर सीधे जुड़ा है वाइट रेवोलुशन-2

पांच लेवल पर पशुपालकों को वाइट रेवोलुशन-2 से फायदा होगा. अब वक्त आ गया है कि आज मिल्क प्रोडक्शन बढ़ाने, डेयरी में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने, पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने, डेयरी डेपलवमेंट और डेयरी किसान को मजबूत बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ही पशुपालन किया जाए. 

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White Revolution 2: पशुपालकों से 4 लेवल पर सीधे जुड़ा है वाइट रेवोलुशन-2मध्‍य प्रदेश को देश की मिल्‍क कैपि‍टल बनाने की तैयारी

ये ऑपरेशन फ्लड (वाइट रेवोलुशन) का ही नतीजा है कि भारत आज दूध उत्पादन में नंबर वन बना हुआ है. बीते कई साल से भारत इसी मुकाम पर टिका हुआ है. यही वजह है कि ऑपरेशन फ्लड डेयरी सेक्टर के लिए एक बड़ा क्रांतिकारी कदम साबित हुआ. इसी की वजह से भारत दूध की कमी वाले देशों की लिस्ट से निकलकर दूध एक्सपोर्ट करने वाला बन गया. एक बार फिर वाइट रेवोलुशन-2 की शुरुआत हो चुकी है. इसके चलते ही छोटे डेयरी किसानों की इनकम में भी सुधार भी आएगा. इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी का का कहना है कि वाइट रेवोलुशन-2 सीधे तौर पर पशुपालकों से जुड़ा है. 

वाइट रेवोलुशन-2 के 5 खास टॉरगेट क्या हैं 

उत्पादन बढ़ाना 

आरएस सोढ़ी का कहना है कि वाइट रेवोलुशन-2 का मकसद डेयरी पशुओं की उत्पादकता बढ़ाना है, जो इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है. कृत्रिम गर्भाधान और जीनोमिक चयन जैसी उन्नत प्रजनन तकनीकों के साथ-साथ बेहतर पशु पोषण के माध्यम से हम डिमांड और सप्लाई के बीच के अंतर को स्थायी रूप से खत्म करने की उम्मीद कर रहे हैं. पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाले चारे और स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुंच सीधे दूध की पैदावार और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाएगी.

टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन 

आज की तेज़ी से विकसित होती दुनिया में डेयरी फार्मिंग में डिजिटल इन्नोवेशन को एकीकृत करना जरूरी है. डेटा एनालिटिक्स, मोबाइल स्वास्थ्य निगरानी ऐप और एआई-संचालित कृषि प्रबंधन समाधान जैसी तकनीकें किसानों के संचालन को आधुनिक बनाने के लिए तैयार हैं. ये उपकरण किसानों को निर्णय लेने में सक्षम बनाएंगे, जिससे उत्पादकता और मुनाफा दोनों में सुधार होगा.

एनवायरनमेंट के साथ मैनेजमेंट 

स्थायित्व वाइट रेवोलुशन-2 का एक मुख्य पिलर है. जलवायु परिवर्तन कृषि और डेयरी के लिए एक बड़ा जोखिम है. मीथेन उत्सर्जन जैसे मुद्दे, पानी की खपत को कम करना और एनवायरनमेंट के साथ मैनेज करते हुए कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण कदम हैं. जैविक चारा उत्पादन को प्रोत्साहित करना और वेस्ट मैनेजमेंट प्रणालियों में सुधार करना न केवल पर्यावरण की रक्षा करने में मदद करेगा, बल्कि किसानों के लिए इनकम के नए रास्ते भी खोलेगा.

किसान सशक्तिकरण और समावेशिता

वाइट रेवोलुशन-2 का प्रमुख जोर किसान सशक्तिकरण पर है, खासतौर से महिलाओं के बीच, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग हैं. सहकारी समितियों को मजबूत करना, वित्तीय समावेशन का विस्तार करना, प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे तक पहुंच सुनिश्चित करना किसानों को फलने-फूलने में सक्षम बनाएगा. पनीर, दही और फोर्टिफाइड दूध जैसे वैल्यू एडेड डेयरी उत्पादों को बढ़ावा देने से घरेलू और इंटरनेशनल स्तर पर नए बाजार के अवसर पैदा होंगे.

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