Kisan Diwas: अपने ही बेटे के खि‍लाफ मुलायम सिंह से भि‍ड़ गए थे ये किसान नेता 

Kisan Diwas: अपने ही बेटे के खि‍लाफ मुलायम सिंह से भि‍ड़ गए थे ये किसान नेता 

Kisan Diwas पूर्व पीएम और किसान नेता चौधरी चरण सिंह जब बीमारी के चलते बेहोश थे तभी उनके बेटे अजित सिंह को सियासत में एंट्री मिली थी. जितना कमेंट वो उस वक्त के पीएम राजीव गांधी पर करते थे उतना ही अपने बेटे पर करते थे. ‘विदेश से पढ़कर आने वाले ये देश और किसानों को क्या समझेंगे.’ 

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Kisan Diwas: अपने ही बेटे के खि‍लाफ मुलायम सिंह से भि‍ड़ गए थे ये किसान नेता 

Kisan Diwas ‘पूर्व पीएम और किसान नेता चौधरी चरण सिंह परिवारवाद और जातिवाद के घोर विरोधी थी. जातिवाद के विरोध में उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान आगरा में सामूहिक भोज का आयोजन किया था, जिसके चलते हॉस्टल की मैस में उनका बहिष्कार कर दिया गया था. और इतना ही नहीं हमेशा परिवारवाद के विरोध में भी रहते थे. इसी के चलते अपने बेटे को राजनीति में नहीं आने देते थे. यही वजह थी कि एक बार दिल्ली के खान मार्केट में मीटिंग के दौरान अपने बेटे के खि‍लाफ मुलायम सिंह यादव से भी भि‍ड़ गए थे.’ 

ये कहना है चौधरी चरण सिंह के करीबी रहे और प्राइवेट यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. केएस राना का. उन्होंने किसान तक को बताया कि हालांकि परिवाद और जातिवाद के विरोध में चौधरी साहब से जुड़े बहुत सारे किस्से हैं. लेकिन मथूरा, यूपी से जुड़ा ये किस्सा देश की सियासत में आम हो गया था. कई मौकों पर वो दूसरे नेताओं संग अपने बेटे अजित सिंह पर भी तंज करने से नहीं चूकते थे. 

दिल्ली की मीटिंग में बोले- ‘कौन अजित सिंह’

‘डॉ. राना ने एक किस्सा याद करते हुए बताया कि एक बार खान मार्केट में मीटिंग चल रही थी. इस मीटिंग में चौधरी चरण सिंह, चौधरी देवीलाल और मुलायम सिंह यादव भी मौजूद थे. लोकसभा चुनावों की तैयारियों को देखते हुए कौन, कहां से चुनाव लड़ेगा ये लिस्ट पढ़ी जा रही थी. लिस्ट मुलायम सिंह यादव पढ़ रहे थे. जब मथुरा लोकसभा सीट का नाम आया तो अजित सिंह का नाम बोला गया. ये नाम सुनते हुी चौधरी साहब बोले कौन अजित सिंह. जिसे सियासत में नहीं जानता और तुम उसका नाम लोकसभा टिकट के लिए पढ़ रहे हो. ये सुनते ही मुलायम सिंह यादव चुप हो गए. लेकिन चौधरी देवीलाल ने कहा कि ये तुम्हा रा छोरो है. इस पर उन्हों ने मुलायम सिंह यादस से नाराजगी भरे लहजे में बात करते हुए कहा कि तू तो मेरे से राजनीति सीख रहा है. फिर तू कैसे परिवारवाद की बात कर सकता है. मुझे तुझ से ऐसी उम्मीहद नहीं थी. और यह कहकर वो उस मीटिंग को छोड़कर चले गए.’     

परिवारवाद में पीछे छूट जाएंगे गांव के युवा 

डॉ. राना ने एक और सुनाते हुए बताया कि चौधरी चरण सिंह और गोबिंद वल्ल भ पंत ने हमेशा से परिवारवाद को लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू का विरोध किया. साथ ही वो कहते थे कि कोई किसी बड़े नेता का बेटा-बेटी है, भतीजा या भाई है इसलिए उसे राजनीति में जगह दे दी जाए यह गलत है. ऐसे तो वो लोग जो जमीन पर मेहनत कर रहे हैं और ग्रामीण हैं यह सब पीछे रह जाएंगे. नेता के परिवार में से भी कोई नेता बन सकता है, लेकिन उसने जमीन पर मेहनत की हो और जनता के बीच से निकलकर आया हो वो चुनाव लड़ सकता है. 

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