Fish Care: कड़ाके की ठंड में मछली पाल रहे हैं तो जरूर अपनाएं एक्सपर्ट के ये टिप्स 

Fish Care: कड़ाके की ठंड में मछली पाल रहे हैं तो जरूर अपनाएं एक्सपर्ट के ये टिप्स 

Fish Care गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी (Gadvasu), लुधियाना के कॉलेज ऑफ फिशरीज की एडवाइजरी में कहा गया है कि सर्दी के मौसम में मछलियों के खानपान और उनके तालाब में भी बदलाव करना चाहिए. तालाब की साफ-सफाई भी बहुत जरूरी है.

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Fish Care: कड़ाके की ठंड में मछली पाल रहे हैं तो जरूर अपनाएं एक्सपर्ट के ये टिप्स 

Fish Care मछलियां 24 घंटे पानी में रहती हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि उन्हें ठंड नहीं लगती है. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो ठंडे पानी और कड़ाके की सर्दी के चलते मछलियां भी बीमार होती हैं. सर्दी और ठंडे पानी से बचने के लिए तालाब में रहने वाली मछलियां अपनी रहने की जगह बदलने लगती हैं. और सबसे बड़ी परेशानी ये कि जब ठंड ज्यादा पड़ने लगती हैं तो तालाब के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होन लगती हैं. यही वजह है कि एक्सपर्ट ठंड का मौसम शुरू होते ही मछलियों के तालाब में कुछ खास तैयारियां यानि ट्रीटमेंट करने की सलाह देते हैं. 

बढ़ती ठंड को देखते हुए गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी (Gadvasu), लुधियाना की ओर से जारी हुई एडवाइजरी का पालन करने की सलाह मछली पालकों को दी जा रही है. साथ ही ठंड के मौसम में मछलियों को बीमारी से बचाने के लिए तालाब की साफ-सफाई, मछलियों के खानपान और तालाब के पानी पर खास ध्याकन देने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है.  

6 फीट रखें पानी की गहराई

डीन डॉ. मीरा का कहना है कि सर्दियों के दौरान किसानों को तालाब के पानी की गहराई छह फीट तक रखनी चाहिए. जिससे मछलियों को गर्म वातावरण में रहने के लिए ज्यादा जगह मिल सकेगी. इतना ही नहीं तालाब के नीचे के हिस्से और सतह के पानी को गर्म रखने के लिए शाम के समय ट्यूबवेल का पानी तालाब में जरूर मिलाएं. खासकर जब तालाब के पानी का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे हो. और एक खास बात ये कि अगर तालाब के आसपास पेड़ हों  तो सर्दियों के दौरान उन्हें काट दें. ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे सीधी धूप तालाब पर पड़ सके और पत्तियां भी तालाब में न गिरें. पत्तीस गिरने से पानी की गुणवत्ता खराब हो सकती है. 

आक्सीजन बनाए रखने को अपनाएं ये उपाय

डॉ. मीरा ने बताया कि सर्दियों के दिन एक तो छोटे होते हैं और ऊपर से उस दौरान सूरज की रोशनी भी इतनी नहीं आती है जितनी गर्मियों में आती है. यही वजह है कि खराब रोशनी की वजह से तालाब के पानी में आक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है. लगातार बादल छाए रहने से तो हालात और भी खराब हो जाती है. इसलिए ऐसे वक्त में मछली पालकों का काम थोड़ा बढ़ जाता है. ऐसे में तालाब में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए पम्प का ताजा पानी तालाब में मिला दें या फिर तालाब में एरेटर का इस्तेमाल करें. सुबह के वक्त एरेटर का इस्तेपमाल जरूर करें. सर्दियों में लगातार बादल छाए रहने के दौरान पानी में पीएच की स्तर की भी नियमित निगरानी करनी चाहिए. अगर तालाब के पानी का पीएच 7.0 से नीचे चला जाए तो फौरन ही दो किश्तों में 100 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से तालाब में चूना डाल दें. 

मछलियों का खाना भी कर दें कम 

डीन डॉ. मीरा का कहना है कि जैसे ही ये पता चले कि इस मौसम में तापमान लगातार कम हो रहा है तो मछलियों की खुराक भी कम कर दें. क्योंकि घटते तापमान के साथ ही मछलियों की खुराक भी कम हो जाती है. इसलिए एक बार में तो नहीं, लेकिन धीरे-धीरे मछलियों की खुराक को 25 से 75 फीसद तक कम कर दें. और आखिर में जब पानी का तापमान 10 डिग्री से नीचे चला जाए तो खुराक को बिल्कुल ही बंद कर दें. असल में होता ये है कि जो दाना हम तालाब में मछलियों के लिए डालते हैं वो पानी में बचता जरूरत है. क्योंकि सर्दी में मछलियां पूरा दाना नहीं खा पाती हैं. और यही बचा हुआ दाना तालाब की तली में जमा होकर गंदगी फैलाता है.

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