Goat and Lamb Care गर्भवती बकरी के लिए बच्चा होने से पहले के 90 दिन बहुत खास होते हैं. इस दौरान बकरी की खुराक भी बढ़ जाती है. जब तक बच्चा नहीं हो जाता तो बकरी के लिए एक खास खुराक तैयार की जाती है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो बकरी के साथ-साथ उसके पेट में पल रहे बच्चे को भी एनर्जी की बहुत जरूरत होती है. और जब बकरी बच्चा दे देती है तो फिर बकरी समेत उसके नवजात की देखभाल भी बहुत जरूरी हो जाती है. क्योंकि ऐसे में बकरी दूध उत्पादन करती है तो उसे खास और ज्यादा खुराक चाहिए होती है, वहीं नवजात को ग्रोथ के लिए ज्यादा पोषण वाली खुराक चाहिए होती है.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के गोट साइंटिस्ट का भी कहना है कि बकरी से हेल्दी बच्चा और भरपूर दूध लेने के लिए जरूरी है कि उसे खाने को भी अच्छा दिया जाए. बकरियां दूसरे बड़े जानवरों की तरह से एक बार में पेट नहीं भरती हैं. थोड़ा-थोड़ा करके दिन में चार से पांच बार इन्हें खाने के लिए चाहिए होता है. बकरियों का चारा भी तीन तरह का होता है. हरा चारा, सूखा चारा और दाना. इसलिए जरूरी है कि गर्भवती और दूध देनी वाली बकरी की खुराक का पूरा ध्यान रखा जाए.
गोट एक्सपर्ट का कहना है कि जब बकरी को गर्भवती कराना हो तो उसी के साथ बकरी की खुराक बढ़ा दें. हरा चारा और दाने की मात्रा बढ़ा दें. गर्भवती कराने से दो हफ्ते पहले ही बकरी की सामान्य खुराक 3 किलो दाना प्रतिमाह में 100 से 200 ग्राम दाना और बढ़ा दें. इतना ही नहीं जब बकरी बच्चा देने वाली हो तो उससे एक-दो हफ्ते पहले सामान्य खुराक में दाने की मात्रा 300 से 400 ग्राम तक बढ़ा दें. बकरी को उत्तम किस्म का हरा चारा भी खिलाएं.
गोट एक्सपर्ट का कहना है कि दूध देने वाली बकरी को भी ज्यादा खुराक की जरूरत होती है. एक लीटर तक दूध देने वाली बकरी को हर रोज 300 ग्राम तक दाना खिलाना चाहिए. दाना दिन में कम से कम दो बार में दें. साथ ही दिनभर में हरा और सूखा चारा मिलाकर करीब 4 किलो वजन तक खाने को दें. सामान्य मौसम में 20 किलो वजन की बकरी को 700 एमएल तक पानी पिलाना चाहिए. वहीं गर्मी के मौसम में यह मात्रा डेढ़ गुनी कर देनी चाहिए. किसी गोट फार्म में 100 बकरी पाली जाएं या फिर घर की खाली जगह पर 5 बकरियां, उन्हें चरने के लिए खुली जगह की जरूरत होती है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो गर्भवती और दूध देने वाली बकरियों की अच्छी सेहत का राज भी यही होता है. यह खुली जगह खेत और जंगल भी हो सकता है. बकरियों को तीन तरह से चराया जाता है. पहला चराकर, दूसरा खूंटे पर बांधकर और तीसरा चराने के साथ खूंटे पर बांधकर.
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