गाय-भैंस की तरह बकरी पालन में भी बच्चों से मुनाफा कमाया जाता है. लेकिन बकरी पालन पशुपालक के मुनाफे का सबसे बड़ा सोर्स बकरी के बच्चे ही हैं. यही बकरी पालन की बुनियाद भी है. क्योंकि एक तो बकरी दूध कम देती है. दूसरा इतनी जल्दी दूध बिकता भी नहीं है जितनी जल्दी गाय-भैंस का बिक जाता है. इसलिए पशुपालक को सालभर जितने बच्चे मिलेंगे उतना ही मोटा मुनाफा होगा. लेकिन बकरी के बच्चों से मुनाफा तब होता है जब उनकी मृत्यु दर को कम या फिर पूरी तरह से कंट्रोल किया जाए. खासतौर से सर्दियों के मौसम में.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा इसके लिए साइंटीफिक तरीके से बकरी पालन करने की सलाह देता है. सीआईआरजी के साइंटिस्ट की मानें तो बच्चों मृत्यु दर कम करने की तैयारी बकरी के गर्भधारण से ही शुरू हो जाती है. लेकिन सर्दियों के दौरान 60 दिन तक की देखभाल भी बहुत मायने रखती है. बच्चे को जब बीमारियों से दूर रखकर बड़ा करते हैं तो वो उतना ही ज्यादा मुनाफा देने वाला बन जाता है.
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सीआईआरजी के साइंटिस्ट डॉ. एमके सिंह ने बच्चों की मृत्यु दर को कम और पूरी तरह से कंट्रोल करने के लिए कुछ उपाय बताए हैं. ये उपाय बकरी के गर्भकाल से लेकर बच्चा देने के बाद तक अपनाने होते हैं.
बकरी का गर्भकाल पांच महीने का होता है.
साइंटिस्ट डॉ. एमके सिंह ने बताया कि सर्दी के मौसम में दो महीने तक के बच्चों की खास देखभाल बहुत जरूरी हो जाती है. क्योंकि ठंड के मौसम में बच्चों को निमोनिया जकड़ लेता है. निमोनिया से बच्चों की जान तक चली जाती है. इसलिए बच्चों को ठंड से बचाना बहुत जरूरी हो जाता है.
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