Goat Farming: सर्दियों में 60 दिन ऐसे की बकरी की देखभाल तो कम हो जाएगी बच्चों की मृत्यु दर 

Goat Farming: सर्दियों में 60 दिन ऐसे की बकरी की देखभाल तो कम हो जाएगी बच्चों की मृत्यु दर 

बकरी के बाड़े में भी खास तैयारी करनी होती है. बच्चे के खानपान का भी ख्याल रखना होता है. ये सब करने से ही बच्चे में बीमारी से लड़ने की ताकत पैदा होती है. अगर इस सब का पालन किया तो फिर सर्दी के मौसम में बच्चे ठंड से बार-बार ना तो बीमार पड़ेंगे और ना ही उनकी मौत होगी.  

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Goat Farming: सर्दियों में 60 दिन ऐसे की बकरी की देखभाल तो कम हो जाएगी बच्चों की मृत्यु दर बकरी चोरी के आरोप में पिटाई (सांकेतिक तस्वीर)

गाय-भैंस की तरह बकरी पालन में भी बच्चों से मुनाफा कमाया जाता है. लेकिन बकरी पालन पशुपालक के मुनाफे का सबसे बड़ा सोर्स बकरी के बच्चे ही हैं. यही बकरी पालन की बुनियाद भी है. क्योंकि एक तो बकरी दूध कम देती है. दूसरा इतनी जल्दी दूध बिकता भी नहीं है जितनी जल्दी गाय-भैंस का बिक जाता है. इसलिए पशुपालक को सालभर जितने बच्चे मिलेंगे उतना ही मोटा मुनाफा होगा. लेकिन बकरी के बच्चों से मुनाफा तब होता है जब उनकी मृत्यु दर को कम या फिर पूरी तरह से कंट्रोल किया जाए. खासतौर से सर्दियों के मौसम में. 

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा इसके लिए साइंटीफिक तरीके से बकरी पालन करने की सलाह देता है. सीआईआरजी के साइंटिस्ट की मानें तो बच्चों मृत्यु दर कम करने की तैयारी बकरी के गर्भधारण से ही शुरू हो जाती है. लेकिन सर्दियों के दौरान 60 दिन तक की देखभाल भी बहुत मायने रखती है. बच्चे को जब बीमारियों से दूर रखकर बड़ा करते हैं तो वो उतना ही ज्यादा मुनाफा देने वाला बन जाता है. 

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सर्दियों में 60 दिन की खास देखभाल रोकती है मृत्यु दर 

सीआईआरजी के साइंटिस्ट डॉ. एमके सिंह ने बच्चों की मृत्यु दर को कम और पूरी तरह से कंट्रोल करने के लिए कुछ उपाय बताए हैं. ये उपाय बकरी के गर्भकाल से लेकर बच्चा देने के बाद तक अपनाने होते हैं. 
बकरी का गर्भकाल पांच महीने का होता है. 

  • बकरी और बच्चे की जरूरत को देखते हुए आखिरी के 45 दिन के खानपान में बदलाव करें.  
  • बकरी को हरा चारा, सूखा चारा और दाना खूब खि‍लाएं. 
  • इस 45 दिन के खानपान का फायदा बकरी और होने वाले बच्चे को मिलता है. 
  • इस खानपान से बकरी हेल्दी बच्चों को जन्म देगी. 
  • इसी खानपान से बच्चे बीमारी से लड़ने लायक बनते हैं. 
  • बच्चा देने के बाद बकरी दूध भी ज्यादा देगी. 
  • बच्चों को भी भरपूर दूध पीने को मिलेगा. 
  • बच्चा देने के तीन-चार दिन तक बकरी कोलस्ट्रम (खीज) वाला दूध देती है. 
  • इस दूध में प्रोटीन की मात्रा चार गुना तक होती है. 
  • कोलस्ट्रम (खीज) के अंदर ही इम्यू्नोग्लोबीलिन प्रोटीन भी होता है. 
  • खास इम्यू्नोग्लोबीलिन प्रोटीन बच्चों को बीमारी से लड़ने की ताकत देता है.
  • कई बार बकरी अपने ही बच्चे को दूध नहीं पिलाती है. 
  • ऐसे बच्चों को दूसरी दूध दे रही बकरी जो हाल ही में ब्याई है का दूध पिलाया जा सकता है.
  • जन्म के करीब पांच-छह दिन तक बकरी और बच्चे को बकरियों के झुंड से अलग रखें. 
  • अलग रहने से बकरी अपने बच्चे को ठीक तरह से पहचान लेती है. 
  • बच्चे को पहले 15 दिन सिर्फ बकरी के दूध पर ही रखें. 
  • बच्चा मिट्टी ना खाएं इसके लिए उन्हें लाहौरी (सैंधा) नमक खाने को दें. 

बच्चों के लिए सर्दियों में जरूर करें ये खास काम 

साइंटिस्ट डॉ. एमके सिंह ने बताया कि सर्दी के मौसम में दो महीने तक के बच्चों की खास देखभाल बहुत जरूरी हो जाती है. क्योंकि ठंड के मौसम में बच्चों को निमोनिया जकड़ लेता है. निमोनिया से बच्चों की जान तक चली जाती है. इसलिए बच्चों को ठंड से बचाना बहुत जरूरी हो जाता है. 

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  1. ठंड का मौसम शुरू होते ही बच्चों को ठंडी हवा से बचाएं. 
  2. शेड को तिरपाल या जूट की बोरी से चारों तरफ से ढक दें. 
  3. जमीन पर सूखी घास या मैट बिछा दें. 
  4. समय-समय पर घास को बदलते रहें, क्योंकि यूरिन से घास गीली हो जाती है. 
  5. शेड में डेली वाले चूने का छिड़काव करते रहें. 
  6. चूना बकरियों के शेड में गर्मी पैदा करता है. 
  7. शेड में चूना छिड़कने से वहां मौजूद कीटाणु मर जाते हैं. 
  8. 15 दिन के बाद बच्चों को दाना खिलाना शुरू कर दें.  

 

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