उत्तर प्रदेश में एक बार फिर लंपी को लेकर पशुपालक परेशान दिख रहे हैं. हालांकि गायों में तेजी से फैलने वाली लंपी बीमारी गोरखपुर देवरिया और आसपास के जिलों में ही कुछ मामले सामने आए हैं. पशुपालकों को ऐसे में पशुपालन विभाग के अधिकारियों के द्वारा सचेत किया जा रहा है. गोरखपुर के गोरक्षनाथ मंदिर की गौशाला समेत कई इलाकों में गायों में भी लंपी के लक्षण दिखाई देने पर पशुपालन विभाग ने सैंपल लेकर आईवीआरआई बरेली को भेजा है जिससे बीमारी की पुष्टि हुई है. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार से वैक्सीन मंगवाकर गायों को लगाई जा रही है और संक्रमित पशुओं को अलग रखा जा रहा है.
उमस भरी गर्मी के चलते लंपी बीमारी के लक्षण गोरखपुर और आसपास के जिलों में गायों में मिले हैं. राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार से भी वैक्सीन मंगवाई गई है जिससे संक्रमित गायों को गौशाला में अलग बांधकर इलाज किया जा रहा है. राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर नवीन कुमार और डॉक्टर संजय वर्मा ने गायों का परीक्षण भी किया है और वैक्सीन लगने के बाद सभी गायों को स्वस्थ बताया है. फिलहाल संक्रमण को रोकने के लिए पशुपालन विभाग ने 15000 डोज लंपी प्रोवैक आईएनडी वैक्सीन की मांग की है. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. जी के सिंह ने बताया कि लंपी बीमारी की रोकथाम पर शोध करके वैक्सीन का फार्मूला खोजने वाले अश्व अनुसंधान केंद्र के डॉ नवीन कुमार और डॉक्टर संजय बरूआ का प्रयास सराहनीय बताया है. गायों को पहले गोट पाक्स वैक्सीन लगी थी लेकिन वह प्रभावी नहीं थी. अब गायों को लंपी प्रोवैक आईएनडी वैक्सीन लगाई गई है जिससे सभी गए स्वस्थ हैं. वैक्सीन लगने के बाद गोरखनाथ गौशाला में किसी भी तरह का कोई नया मामला नहीं आया है.
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हिसार स्थित अश्व अनुसंधान केंद्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर नवीन कुमार ने बताया लंपी बीमारी मच्छर-मक्खी के चलती तेजी से फैलते हैं. इस संक्रामक बीमारी की रोकथाम के लिए बनी वैक्सीन लम्पी प्रोवैक आईएनडी पूर्णतया स्वदेशी है और अभी तक इसका किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है. वैक्सीन लगाने के बाद में पशु 7 से 10 दिन के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बनने लगती है जिससे 14 दिन में पशु पूरी तरीके से स्वस्थ हो जाते हैं. इस वैक्सीन का 1 साल तक प्रभाव बना रहता है.
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