Trump Tariff: ट्रम्प के टैरिफ से भारतीय डेयरी कंपनियां बटोरेंगी मलाई! उद्योग के दिग्गजों ने बताया कितना बड़ा है मौका

Trump Tariff: ट्रम्प के टैरिफ से भारतीय डेयरी कंपनियां बटोरेंगी मलाई! उद्योग के दिग्गजों ने बताया कितना बड़ा है मौका

अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद दक्षिण पूर्व एशिया में भारतीय डेयरी निर्यात में वृद्धि हो सकती है. अफ्रीका जैसे बाजार भी भारत के लिए खुल सकते हैं. इस मौके से भारतीय डेयरी की बाजार पहुंच में 50% तक सुधार हो सकता है.

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ट्रम्प के टैरिफ से भारतीय डेयरी कंपनियां बटोरेंगी मलाई! उद्योग के दिग्गजों ने बताया कितना बड़ा है मौकाभारतीय डेयरी फर्मों को होने वाला है फायदा

भारत वर्तमान में वैश्विक दूध उत्पादन में लगभग 25% का योगदान देता है. लगभग 10 करोड़ भारतीय किसान डेयरी और संबद्ध क्षेत्रों में लगे हुए हैं, जिनके पास औसतन 2-3 पशु होते हैं. डेयरी उद्योग के दिग्गजों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप के लगाए टैरिफ से भारतीय डेयरी कंपनियों की चांदी हो सकती है. बता दें कि पिछले सप्ताह ही अमेरिका ने तमाम देशों समेत भारतीय डेयरी आयात पर पारस्परिक शुल्क (रेसिप्रोकल टैरिफ) लागू कर दिया है. ऐसे में अब पड़ोसी देशों में भारत की प्रमुख डेयरी कंपनियों की बाजार पहुंच बढ़ सकती है. इसको लेकर गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMF) के एमडी जयेन मेहता और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष मीनेश शाह ने कुछ अहम बिंदुओं के बारे में बताया है.   

भारतीय डेयरी कंपनियों के लिए कितना बड़ा मौका?

गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMF), जो अमूल ब्रांड के उत्पादों का निर्माता है, उसके मैनेजिंग डायरेक्टर जयेन मेहता ने बताया कि भारत, अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित दुनिया के प्रमुख दूध उत्पादक ब्लॉकों में से लगभग हर देश आयात करता है. अमेरिका द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने से सभी देश भी जवाबी टैक्स लगाएंगे, जिसका मतलब है कि अमेरिकी डेयरी उत्पादों के लिए बाजार पहुंच कम हो जाएगी और हमारे लिए (भारतीय डेयरी कंपनियां) बाजार के अवसर खुल जाएंगे. 

एक अंग्रेजी अखबार, 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' से बातचीत के दौरान जयेन मेहता ने कहा, "मैं इसे डेयरी कंपनियों के लिए अप्रत्याशित लाभ के रूप में देखता हूं, क्योंकि इससे बाजार पहुंच में 50% तक सुधार हो सकता है. मुझे लगता है कि अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद दक्षिण पूर्व एशिया में निर्यात में वृद्धि होगी. अफ्रीका जैसे बाजार भी हमारे लिए खुल सकते हैं. अमूल का पश्चिम एशिया में निर्यात बढ़ने की भी उम्मीद है." बता दें कि GCMMF भारत के कुल डेयरी निर्यात 2,300 करोड़ (वित्त वर्ष 24 में) का लगभग आधा (*1,000 करोड़) अमेरिका सहित 35 देशों को भेजता है.

डेयरी उत्पादों पर नहीं घटेगा आयात शुल्क

मेहता ने यह भी कहा कि उन्हें भारत द्वारा आने वाले डेयरी उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं में तत्काल कोई कमी नहीं दिख रही है क्योंकि लोकल उद्योग को बचाने की जरूरत है. भारत 1998 से ही दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक रहा है, उसके बाद अमेरिका का स्थान है. मेहता का कहना है कि अमेरिका को सालाना करीब 200 करोड़ रुपये का निर्यात होता है, जो मूल्य के लिहाज से कुल निर्यात का पांचवां हिस्सा है. पश्चिम एशिया, पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया इसके दो शीर्ष बाजार हैं, जहां से कुल निर्यात में क्रमश: 40% और 25% की हिस्सेदारी है.

डेयरी उद्योग के सूत्रों का यह भी कहना है कि डेयरी उत्पादों पर आयात शुल्क कम करने के बारे में फिलहाल कोई चर्चा नहीं हो रही है. उदाहरण के लिए, भारत में आयात किए जाने वाले चीज़ और स्किम्ड मिल्क पाउडर पर 30-60% तक टैरिफ लगाया जाता है, यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे ट्रम्प प्रशासन ने पिछले हफ़्ते लिबरेशन डे की घोषणाओं के दौरान दोहराया था.

भारत में नहीं टिकेंगी वैश्विक डेयरी कंपनियां

'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' से बातचीत में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के चेयरमैन मीनेश शाह ने कहा, "हमें नहीं लगता कि अमेरिकी टैरिफ की वजह से देश के डेयरी सेक्टर पर कोई असर पड़ेगा. यह सेक्टर लगातार बढ़ रहा है और बड़ी संख्या में छोटे किसान दूध उत्पादन में लगे हुए हैं." शाह ने यह भी कहा कि वैश्विक डेयरी कम्पनियों के लिए भारतीय बाजार में टिक पाना व्यावहारिक नहीं होगा, क्योंकि लोकल उत्पादन में रसद और परिवहन लागत बहुत अधिक होती है.

इसी मुद्दे को लेकर भारतीय डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस सोढ़ी ने कहा, "हमें डेयरी क्षेत्र के साथ छेड़छाड़ करने की जरूरत नहीं है, ये स्थिर गति से बढ़ रहा है. डेयरी कई लोगों की आजीविका का साधन है. यह केवल व्यापार का मुद्दा नहीं है." गौरतलब है कि भारत का दूध उत्पादन 2014-15 में 146.31 मिलियन टन से बढ़कर 2023-24 में 239.30 मिलियन टन हो गया है, जो पिछले दशक में 63.55% की वृद्धि है.

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