scorecardresearch
Goat Farming: हरे चारे की कमी हो तो पेड़ों से ऐसे भरे बकरियों का पेट, जानें क्या बोले एक्सपर्ट 

Goat Farming: हरे चारे की कमी हो तो पेड़ों से ऐसे भरे बकरियों का पेट, जानें क्या बोले एक्सपर्ट 

एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि हरे चारे की कमी को देखते हुए ही हे और साइलेज तैयार किए जाते हैं. लेकिन खासतौर पर बकरियां खुद डाल से तोड़कर हरा चारा खाना ज्या‍दा पसंद करती हैं. इसलिए बकरी पालन में फसल चक्र यानि चारा चक्र की बात कही जाती है. अगर फसल चक्र का पालन किया जाता है तो फिर बकरी पालन में हरे चारे की कमी नहीं आती है.

advertisement
नीम और अरडू के पेड़. फोटो क्रे‍डिट-किसान तक नीम और अरडू के पेड़. फोटो क्रे‍डिट-किसान तक

गाय-भैंस ही नहीं भेड़-बकरियों के लिए भी साल के 12 महीने हरा चारा मिलना मुश्किल हो जाता है. और जब बारिश के महीनों में चारों ओर भरपूर हरा चारा होता है तो उसे ज्यादा खिला भी नहीं सकते. क्योंकि उस चारे में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. अगर बकरी इस चारे को ज्यादा खा लेती हैं तो उन्हें डायरिया की परेशानी होने लगती है. हालांकि ऐसी ही परेशानियों से बचने के लिए साइलेज और हे तैयार किया जाता है. लेकिन बकरियों का नेचर है कि वो डाल से पत्ती तोड़कर खाना ज्यादा पसंद करती हैं. 

यही वजह है कि केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट हरे चारे की कमी के दौरान कुछ खास पेड़ों की पत्तियां खिलाने की सलाह देते हैं. पेड़ों की पत्तिेयां हरे चारे की कमी को तो पूरा करती ही हैं, साथ ही बकरियों को इनसे पोषक तत्व भी खूब मिलते हैं.

ये भी पढ़ें- Milk Production: दूध लेकर आता है मॉनसून का महीना, पशु को हुई परेशानी तो उठाना पड़ेगा नुकसान, जानें डिटेल

सर्दियों के मौसम में नीम बहुत पसंद करती हैं बकरियां 

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ ने किसान तक को बताया जमीन पर पड़े चारे के मुकाबले बकरी डाल से तोड़कर खाना पसंद करती है. इसमे बकरी को एक खास खुशी भी महसूस होती है. अगर मैदान में हरा चारा नहीं है तो हम नीम, गूलर, अरडू आदि पेड़ की पत्तियां खिला सकते हैं. अगर स्वाद और पसंद की बात करें तो बकरियां इन्हें खाना खूब पसंद करते हैं. सर्दियों में तो खासतौर पर नीम की पत्तियां खाना बहुत पसंद करती हैं. 

और एक खास बात ये कि पेड़ों की पत्तियां बकरियों के लिए चारा तो होती ही हैं, साथ में दवाई का काम भी करती हैं. जैसे नीम खाने से पेट में कीड़े नहीं होते हैं. दूसरा ये कि बरसात में होने वाले हरे चारे में पानी की मात्रा बहुत होती है. इससे डायरिया होने का डर बना रहता है. जबकि पेड़ों में पानी कम होता है तो डायरिया की संभावना ना के बराबर रहती है.

इसे भी पढ़ें: World Goat Day: ‘दूध नहीं दवाई है’ तो क्या इसलिए बढ़ रहा है बकरी के दूध का उत्पादन 

नीम संग अमरुद और मोरिंगा दिया तो नहीं होंगे पेट के कीड़े 

सीआईआरजी की सीनियर साइंटिस्ट नीतिका शर्मा ने किसान तक को बताया कि अमरुद, नीम और मोरिंगा में टेनिन कांटेंट और प्रोटीन की मात्रा बहुत होती है. अगर वक्त पर हम तीनों पेड़-पौधे की पत्तियां बकरियों को खिलाते हैं तो उनके पेट में कीड़े नहीं होंगे. पेट में कीड़े होना बकरे और बकरियों में बहुत ही परेशान करने वाली बीमारी है. पेट में अगर कीड़े होंगे तो उसके चलते बकरे और बकरियों की ग्रोथ नहीं हो पाएगी. पशुपालक जितना भी बकरे और बकरियों को खिलाएगा वो उनके शरीर को नहीं लगेगा. खासतौर पर जो लोग बकरियों को फार्म में पालते हैं और स्टाल फीड कराते हैं उन्हें इस बात का खास ख्याल रखना होगा.