बरसात का मौसम ही ऐसा है कि गाय-भैंस हो भेड़-बकरी सभी जल्द. बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. लेकिन अगर पशुपालक मॉनसून के दौरान थोड़ा सा भी अलर्ट हो जाएं तो पशुओं को जानलेवा बीमारी तक से बचाया जा सकता है. ऐसा ही कुछ बकरियों को लेकर भी है. बकरियों की मृत्यु दर ही बकरी पालन का मुनाफा और नुकसान तय करती है. अगर वक्त से बकरियों की जांच करना, उन्हें तय वक्त पर टीके लगवाना और बीमार होने पर सही दवा दिला दी जाए तो मुनाफे को बढ़ाया जा सकता है. अगर बरसात के इस मौसम में बकरियों का टीकाकरण करवा दिया है तो वो बीमारी से बची रहेंगी. और अगर अभी टीकाकरण नहीं करवाया है तो आज भी करा सकते हैं. इस खबर में एक्सपर्ट कुछ ऐसे ही टीकों के बारे में बता रहे हैं.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के मुताबिक खुरपका, बकरी की चेचक, बकरी की प्लेग जैसी बीमारियों समेत पैरासाइट से बकरियों को बचाया जा सकता है. जरूरत बस वक्ती रहते अलर्ट होने की है. जरा सी भी लापरवाही होने पर एक बकरी में हुई बीमारी पूरे फार्म पर फैल सकती है.
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सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अशोक कुमार ने किसान तक को बताया कि उम्र, मौसम और बीमारी के हिसाब से बकरियों को तमाम तरह की बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण का ये चार्ट देखना चाहिए.
खुरपका- 3 से 4 महीने की उम्र पर. बूस्टर डोज पहले टीके के 3 से 4 हफ्ते बाद. 6 महीने बाद दोबारा.
बकरी चेचक- 3 से 5 महीने की उम्र पर. बूस्टर डोज पहले टीके के एक महीने बाद. हर साल लगवाएं.
गलघोंटू- 3 महीने की उम्र पर पहला टीका. बूस्टर डोज पहले टीके के 23 दिन या 30 दिन बाद.
कुकडिया रोग- दो से तीन महीने की उम्र पर दवा पिलाएं. 3 से 5 दिन तक पिलाएं. 6 महीने की उम्र पर दवा पिलाएं.
डिवार्मिंग- 3 महीने की उम्र में दवाई दें. बरसात शुरू होने और खत्म होने पर दें. सभी पशुओं को एक साल दवा पिलाएं.
डिपिंग- दवाई सभी उम्र में दी जा सकती है. सर्दियों के शुरू में और आखिर में दें. सभी पशुओं को एक साथ नहलाएं.
ब्रुसेलोसिस- 6 महीने और 12 महीने की उम्र पर जांच कराएं. जो पशु संक्रमित हो चुका है उसे गहरे गड्डे में दफना दें.
जोहनीज (जेडी)- 6 महीने और 12 महीने की उम्र पर जांच कराएं. संक्रमित पशु को फौरन ही झुंड से अलग कर दें.
पीपीआर (बकरी प्लेग)- 3 महीने की उम्र पर. बूस्टर की जरूरत नहीं है. 3 साल की उम्र पर दोबारा लगवा दें.
इन्टेरोटोक्समिया- 3 से 4 महीने की उम्र पर. बूस्टर डोज पहले टीके के 3 से 4 हफ्ते बाद. हर साल एक महीने के अंतर पर दो बार.
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