Green Fodder: नारियल के बागानों से निकलेगा हरे चारे की कमी दूर करने का रास्ता, पढ़ें डिटेल 

Green Fodder: नारियल के बागानों से निकलेगा हरे चारे की कमी दूर करने का रास्ता, पढ़ें डिटेल 

Green Fodder Production हाल ही में केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की एक टीम ने चारा रिसर्च सेंटर (IGFRI), झांसी का दौरा किया था. इस मौके पर देशभर के कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) के माध्यम से तकनीकी आधारित चारा उत्पादन का प्रचार करने पर जोर दिया गया था. खासतौर पर हरे चारे की कमी से निपटने के लिए अपनाए जाने वाले उपायों पर जोर दिया गया था. 

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Green Fodder: नारियल के बागानों से निकलेगा हरे चारे की कमी दूर करने का रास्ता, पढ़ें डिटेल पशुओं के लिए वरदान है ये चारा

Green Fodder Production दूध उत्पादन की महंगी लागत और डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपर्ट न बढ़ने के पीछे बड़ी वजह चारा है. डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि आज देश में न सिर्फ हरा चारा बल्कि सूखे चारे की भी कमी है. यही वजह है कि पशुपालकों को दूध से ठीक ठाक मुनाफा नहीं मिल पाता है. परेशानी वाली बात ये है कि चारे की कमी का ये आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. इसी कमी को दूर करने के लिए केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय एक योजना पर काम कर रहा है. 

योजना केरल में नारियल के बागानों से जुड़ी हुई है. ये एक तकनीक आधारित योजना है. इसके तहत पर्यावरण के आधार पर विपरीत परिस्थितियों में भी टिकाऊ रहने वाली बहुवर्षीय घासों की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है. ये खासतौर पर बंजर भूमि को पुनर्जीवित करने, पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने और साल भर हरा चारा उपलब्ध कराने में मददगार होगी.

नारियल के बागानों में हरा चारा उत्पादन की है योजना 

चारा तकनीकों को राज्यों में अपनाने के लिए स्टेट लेवल की कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है. मंत्रालय ने केरल में नारियल बागानों की खाली जगहों पर चारा उत्पादन की संभावनाओं को उजागर करते हुए इसे एक प्रभावशाली मॉडल बताया. इस संबंध में जल्द ही केरल में एक संयु बड़ी बैठक आयोजित की जाएगी. बैठक में राज्य सरकार, कृषि विज्ञान केंद्रों और IGFRI के साइंटिस्ट हिस्सा लेंगे. पशुपालन के साथ ही किसानों के लिए उपयुक्त पशुधारित एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS), एकरूपी और स्थायी उत्पादन हेतु बहुवर्षीय घासों की एपोमिक्टिक प्रजनन तकनीक, चारा उत्पादन के लिए विशेष कृषि यंत्रों का विकास, चारा बीजों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु मानक और प्रमाणन प्रणाली तथा बीज छर्रों के माध्यम से ड्रोन आधारित घास भूमि पुनरुद्धार जैसी नवीन विधियों के बारे में साइंटिस्ट चर्चा करेंगे. 

देश में चारे से जुड़े कुछ फैक्ट 

देश में 11 फीसद हरे चारे की कमी है. हरे चारे की चुनौतियों से निपटने के लिए हमे तकनीक आधारित उपायों को अपनाना होगा. आज देश में सिर्फ 85 लाख हेक्टेयर जमीन पर ही चारा उगाया जा रहा है. हालांकि देश में 1.15 करोड़ हेक्टेयर घासभूमि और करीब 10 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन है, हरा चारा और घास उगाने के लिए इसका बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है. ये जमीन चारे में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और पशुधन उत्पादकता को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है. भारत सरकार पशुपालन सेक्टर को सशक्त, लचीला और आत्मनिर्भर बनाने के लिए विज्ञान, इनोवेशन और कोऑपरेटिव को प्रमुख आधार मानती है. 

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