कोई भी कारोबारी सेक्टर हो सरकार उसकी बात सुनती है. डिमांड के मुताबिक उसकी मदद भी करती है. लेकिन पोल्ट्री ऐसा सेक्टर है जिसे सरकारी मदद मिलना तो दूर, सरकार उसकी बात तक नहीं सुनती है. और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह खुद पोल्ट्री है. पोल्ट्री की आ देशभर में बहुत सारी एसोसिएशन हैं. हर कोई सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश करता है. लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि पोल्ट्री के मामले में सभी के अपने आंकड़े अलग-अलग होते हैं. और इसके चलते सरकार पशोपेश में आ जाती है कि असल में इस सेक्टर की हकीकत क्या है. ये कहना है कि आईबी ग्रुप के एमडी और ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बहादुर अली का.
मौका था पोल्ट्री एक्सपो के नॉलेज डे का. हैदराबाद में पोल्ट्री इंडिया की ओर से पोल्ट्री एक्सपो-2024 का आयोजन किया जा रहा है. 27 से 29 नवंबर तक एक्सपो चलेगा. नॉलेड डे में पोल्ट्री साइंटिस्ट, डॉक्टर, एक्सपर्ट, कंपनी और फार्मर हिस्सा लेते हैं. पोल्ट्री से जुड़े मुद्दे जैसे मुर्गियों की बीमारी, फीड, प्रोडक्शन और कैसे वेस्ट का इस्तेमाल कर और ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है.
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पोल्ट्री सेक्टर के लिए क्यों जरूरी है कि एक मंच इस बारे में बोलते हुए बहादुर अली ने उदाहरण दिया कि हमारा सेक्टर बीते काफी वक्त से मक्का की परेशानी से जूझ रहा है. हम सरकार से मक्का इंपोर्ट करने की अनुमति मांग रहे हैं. हर एक एसोसिएशन अपने हिसाब से सरकार से डिमांड कर चुकी है. लेकिन अफसोस की बात ये है कि अभी तक सरकार ने इस पर कोई सुनवाई नहीं की है. अगर एक पोल्ट्री मंच होता तो शायद हम और ज्यादा अच्छे तरीके से अपनी बात रख पाते.
पोल्ट्री सेक्टर की एक बड़ी कमी की ओर ध्यान दिलाते हुए बहादुर अली ने ये भी कहा कि आज ज्यादा कारोबारी सेक्टर के बिजनेस करने के अपने नियम और कानून हैं. लेकिन पोल्ट्री के साथ ऐसा नहीं है. हर कोई अपनी मर्जी से बाजार में अपना माल बेच रहा है. सीधे तौर पर पोल्ट्री से जुड़े 10 करोड़ लोगों की कोई सुरक्षा नहीं है. सीआईआई में भी पोल्ट्री की कोई हिस्सेदारी नहीं है. फीड-चिक्स के लगातार रेट बढ़ रहे हैं, लेकिन कोई बात नहीं हो रही है. फिशरीज और डेयरी को सरकार खूब मदद करती है. ऐसा नहीं है कि पोल्ट्री सेक्टर कोई काम नहीं करता है, करता तो है लेकिन सरकार को पता नहीं चलता है. क्योंकि हम आंकड़ा नहीं दे पाते हैं.
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पोल्ट्री एक्सपो के मौके पर बहादुर अली ने बताया कि आज दूसरे बहुत सारे सेक्टर सरकारी योजनाओं से जुड़कर महिलाओं को सशक्त बनाने का काम कर रहे हैं. पोल्ट्री सेक्टर के पास तो ऐसा करने के लिए मौके ही मौके हैं. लखपति दीदी से जुड़कर हम महिलाओं के लिए पोल्ट्री फार्म स्ट्रक्चर तैयार कर करवा सकते हैं. और ये सब होने के बाद हम इंटीग्रेटेड पोल्ट्री फार्मिंग के तहत एक हजार चूजे देकर पोल्ट्री फार्मिंग के लिए बढ़ावा दे सकते हैं. केन्द्र और राज्य सरकारें लगातार ऐसी बहुत सी योजनाएं चलाती रहती हैं.
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