एक एकड़ में लाखों रुपये की कमाई करा सकती है ये मछली, बेहद कम होता है फीड का खर्च

एक एकड़ में लाखों रुपये की कमाई करा सकती है ये मछली, बेहद कम होता है फीड का खर्च

भारत में पाई जाने वाली मछली तिलापिया दुनिया में दूसरी सबसे अधिक पाली जाने वाली मछली है. वहीं भारत में इस मछली की व्यावसायिक खेती भी सीमित इलाकों में की जाती है. एशियाई देशों में इस मछली के लिए मौसम और वातावरण बिल्कुल सही है.

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एक एकड़ में लाखों रुपये की कमाई करा सकती है ये मछली, बेहद कम होता है फीड का खर्चTilapia fish

भारत सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसके लिए सरकार कृषि के साथ-साथ कुछ छोटे उद्योगों को भी बढ़ावा देने में जुटी है. जिससे किसान आसानी से अपनी आजीविका चला सकें और खेती के साथ-साथ अन्य स्रोतों से भी पैसा कमा सकें. इन छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है. इन लघु उद्योगों में मछली पालन उद्योग भी शामिल है. जो इस समय किसान भाइयों के बीच काफी मशहूर हो रहा है. इसकी अपार संभावनाओं को देखते हुए किसान भाइयों का रुझान इस ओर तेजी से बढ़ रहा है.

वहीं मछली पालन से जुड़े किसान इससे करने से पहले कुछ बातों का खास खयाल रखते हैं. जैसे मछली की सही नस्ल का चुनाव, कम पानी में अधिक मछली वाली नस्लों की मांग सबसे ज्यादा है. ऐसे में आज हम बात करेंगे उस मछली के बारे में जो आपको एक एकड़ में लाखों की कमाई करा सकती है. 

दूसरी सबसे अधिक पाली जाने वाली मछली

भारत में पाई जाने वाली मछली तिलापिया दुनिया में दूसरी सबसे अधिक पाली जाने वाली मछली है. वहीं भारत में इस मछली की व्यावसायिक खेती भी सीमित इलाकों में की जाती है. एशियाई देशों में इस मछली के लिए मौसम और वातावरण बिल्कुल सही है. इस मछली के पालन पर 1959 में भारत की मत्स्य अनुसंधान समिति द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया था. लेकिन वर्तमान में कुछ राज्यों की शर्तों के कारण इसके पालन पर से प्रतिबंध हटा दिया गया है. अपनी तेजी से बढ़ती विशेषता के कारण मछली पालकों और उपभोक्ताओं के बीच इसकी काफी मांग है.

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अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ रही मांग

इसका चारा कृत्रिम और तैरता हुआ होता है. इसकी रोग प्रतिरोधी गुणवत्ता के कारण स्थानीय किसानों और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. यह विपरीत परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है और प्राकृतिक भोजन खाने की क्षमता रखता है.

एक एकड़ में पाली जा सकती है इतनी मछलियां

तिलापिया मछली के खाने की बात करें तो यह 1.25-1.5 है.यदि इसकी अच्छे से देखभाल की जाए और निकालते समय इसका वजन 500-600 ग्राम हो तो इसे 5-6 दिनों के बाद बाहर निकाला जा सकता है. यह मछली प्रति एकड़ क्षेत्र में कम से कम 20000-25000 मछलियां पाली जा सकती हैं.

कहां कर सकते हैं इसका पालन

मुख्य रूप से वह भूमि जो खेती के लिए अच्छी नहीं होती, उसका उपयोग मछली फार्म बनाने के लिए किया जाता है. मछली फार्म के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे भूमि में पानी बनाए रखने की क्षमता होनी चाहिए. रेतीली तथा दोमट भूमि पर तालाब न बनायें. यदि आप मिट्टी का परीक्षण करना चाहते हैं तो जमीन पर 1 फीट चौड़ा गड्ढा खोदें और उसमें पानी भर दें. यदि गड्ढे में 1-2 दिन तक पानी भरा रहे तो यह भूमि मछली पालन के लिए अच्छी है. लेकिन यदि गड्ढे में पानी नहीं है तो यह भूमि मछली पालन के लिए अच्छी नहीं है. तालाब मुख्यतः 3 प्रकार के होते हैं. नर्सरी तालाब, मछली पालन तालाब और मछली उत्पादन तालाब.

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