पेट (डॉग) प्रेमियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. अब वो चंद रुपये खर्च करने के बाद अपनी फीमेल डॉग से मनपसंद बच्चे पैदा करा सकेंगे. और इसके लिए उन्हें अपनी फीमेल डॉग को क्रॉस कराने के लिए मेल डॉग के पास जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. पेट प्रेमियों की इसी जरूरत को पूरा करने के लिए देश में कुत्तों का पहला वीर्य बैंक बनाने को हरी झंडी मिल गई है. 45 लाख रुपये की लागत से ये वीर्य बैंक गुरु अंगद देव वेटरनरी और एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना में बनाया जाएगा.
इस वीर्य बैंक की मदद से ही फीमेल डॉग को कृत्रिम तरीके से गाभिन (आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन) किया जाएगा. इसका सबसे बड़ा फायदा ये मिलेगा जो दुर्लभ नस्ल हैं उनके वीर्य को भी संरक्षित किया जा सकेगा. गडवासु के पशु चिकित्सा स्त्री रोग और प्रसूति विभाग को इस वीर्य बैंक की जिम्मेदारी दी गई है. गौरतलब रहे ये विभाग पशु प्रजनन के क्षेत्र में आईसीएआर द्वारा मान्यता प्राप्त उन्नत संकाय प्रशिक्षण केंद्र (सीएएफटी) भी है.
पशु चिकित्सा स्त्री रोग और प्रसूति विभाग प्रमुख वैज्ञानिक और डिप्टी एचओडी डॉ. मृगांक होनपारखे का कहना है कि कुत्तों में एंडोस्कोपिक आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (एआई) की पालतू जानवरों के मालिकों और प्रजनकों के बीच काफी डिमांड है. विभाग ने पहले ही कैनाइन सीमेन क्रायोप्रिजर्वेशन और एआई की प्रक्रियाओं को मानकीकृत कर दिया है. ये वीर्य बैंक देश में अत्याधुनिक और अपनी तरह का पहला कैनाइन सीमेन बैंक होगा, जहां सामान्य और दुर्लभ नस्लों के वीर्य को भविष्य के प्रजनन उद्देश्यों के लिए संरक्षित किया जा सकेगा. ये वीर्य बैंक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली, लुधियाना द्वारा अनुभवात्मक शिक्षण परियोजना (ईएलपी) के तहत तैयार किया जा रहा है. इससे पशु चिकित्सा छात्रों और श्वान चिकित्सकों को कुत्तों में वीर्य क्रायोप्रिजर्वेशन और कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक सीखने में मदद मिलेगी.
जानकारों की मानें तो अभी देशभर में गाय-भैंस और भेड़-बकरी की एआई हो रही है. देश में जगह-जगह सीमन बैंक बने हुए हैं. एक बैल के जितने वीर्य से प्राकृतिक तरीके से एक गाय गाभिन होती है, अब एआई की मदद से उतने सीमन में 200 वीर्य की स्ट्रॉ बन जाती हैं. और एक गाय तीन स्ट्रॉ से गाभिन हो जाती है. अब तो बाजार में सैक्स सॉर्टेड सीमन भी आ गया है. हालांकि ये अभी सिर्फ गायों के लिए ही है.
इलाज के दौरान बहुत सारे कुत्ते सिर्फ इस वजह से मर जाते हैं कि उन्हें ब्लड नहीं मिल पाता है. कुछ एक्सीडेंट केस होते हैं तो कुछ में किसी न किसी बीमारी के चलते खून की कमी हो जाती है. इसी परेशानी को देखते हुए गडवासु ने कुत्तों के लिए हाईटेक ब्लड बैंक की शुरुआत की है. जरूरत पड़ने पर इस बैंक से ब्लड के साथ ही उसके कंपोनेंट भी दिए जाते हैं. यूनिवर्सिटी का दावा है कि ये कुत्तों के लिए देश की पहली हाईटेक ब्लड बैंक है.
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