दुनियाभर में मीठे पानी के झींगों की लगभग 100 प्रजातियां हैं. जिसमें 25 से अधिक प्रजातियां सिर्फ देश में पायी जाती हैं. वहीं झींगा, मछली की प्रजाति न होते हुए भी जल में रहने की वजह से आम बोलचाल में मछली ही समझा जाता है. इसका पहले ज्यादातर उत्पादन खारे पानी में (समुद्र) में ही संभव था. हालांकि, वैज्ञानिकों की वजह से अब मीठे पानी (तालाब) में भी इसका पालन आसानी किया जा रहा है. देश में मछली पालन के साथ-साथ झींगा पालन बिजनेस को लेकर किसानों का रुझान पिछले कुछ सालों में काफी तेजी से बढ़ा है. वहीं किसान कृषि के साथ-साथ झींगा पालन का बिजनेस आसानी से कर सकते हैं और अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं. ऐसे में आइए आज झींगा पालन के बारे में विस्तार से जानते हैं-
अगर आप झींगा पालन का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो झींगा की ऐसी तीन प्रजातियां हैं जिनका पालन देशभर में किया जाता है-
• मीठे पानी का महाझींगा- मैक्रोब्रैकियम रोजनवर्गी
• भारतीय नदी का झींगा- मैक्रोब्रैकियम माल्कल्म सौनी
• भारतीय नदी झींगा- मैक्रोब्रैकियम विरमानीकम चौपराई
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झींगा पालन की शुरुआत के लिए सबसे पहले झींगा की नर्सरी को तैयार करना पड़ता है. फिर पुराने तालाब से पानी को मशीन की सहायता से निकाल दिया जाता है और सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है. तालाब के सूखने के बाद इसकी जुताई की जाती है. फिर इसमें लगभग एक मीटर तक पानी भरकर झींगा के बीज को डाल दिया जाता है. वहीं झींगा के इन बीजों को भोजन के रूप में सूजी, मैदा और अंडे को एक साथ मिलाकर दिया जाता है. बीज से निकलने वाले लार्वा को लगभग 45 दिनों तक ऐसे ही रखा जाता है. इसके बाद यह लार्वा शिशु झींगा का रुप ले लेता है. फिर इन्हें तालाब में छोड़ दिया जाता है.
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अगर सभी परिस्थियां अनुकूल रहती हैं तो 6 महीने में महाझींगा लगभग 100 ग्राम के हो जाते हैं. वहीं तालाब में डाले गए झींगों की वृद्धि हो रही है या नहीं यह जानने के लिए समय-समय पर जाल डालकर वृद्धि की जांच करते रहना चाहिए. वहीं बीच-बीच में बड़े झींगा को निकालते रहना चाहिए जिससे छोटे झींगों को बढाने का अवसर मिलता रहे. बता दें कि 40-50 ग्राम का महाझींगा बिक्री के लायक माना जाता है.
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