पोल्ट्री एक्सपो इंडियापोल्ट्री बर्ड के नाम पर भारत में सिर्फ मुर्गे-मुर्गियों को ही जाना जाता है. मुर्गी अंडे के लिए पाली जाती है, जबकि ब्रायलर मुर्गा चिकन के लिए पाला जाता है. इसके अलावा इनसे कोई और प्रोडक्ट नहीं मिलता है. बावजूद इसके ज्यादातर लोग मुर्गे-मुर्गी का ही पालन करते हैं. जबकि गिनी फाउल पक्षी पालन से एक नहीं तीन तरह से मुनाफा होता है. बावजूद इसके गिनी फाउल की कोई बात नहीं होती है. ये कहना है पोल्ट्री इंडिया एक्सपो 2025, हैदराबाद में गुजरात से आए गिनी फाउल एक्सपर्ट और फार्मर मोहम्मद इलियास का.
उनका कहना है कि बाजार में जहां गिनी फाउल के मीट और अंडे की डिमांड है तो वहीं उसके पंखों की भी खूब मांग है. साल के 12 महीने गिनी फाउल के मीट और अंडों की डिमांड रहती है. खासतौर पर क्रिसमस और न्यू ईयर के दौरान गिनी फाउल के मीट की डिमांड और ज्यादा बढ़ जाती है. इसके अंडे हर मौसम में खाए जाते हैं. वहीं हाथ से बना सजावटी सामान तैयार करने वाले पंख खरीदने के लिए खुद ही गिनी फाउल के फार्म पर आ जाते हैं.
गिनी फाउल पालन मीट, अंडों और पंखों के लिए होता है.
मीट-
कम फैट वाला, स्वादिष्ट और बाजारों में ज्यादा डिमांड वाला है.
अंडे-
गिनी फाउल एक साल में 100 से 120 अंडे तक देती है.
गिनी फाउल 18 से 20 हफ्ते की उम्र पर अंडे देने लगती है.
पंख-
हैंडी क्रॉफ्ट और सजावट में गिनी फाउल के पंखों का इस्तेमाल किया जाता है.
आवास-
गिनी फाउल का एक सुरक्षित, सूखा और अच्छा हवादार पिंजरा चाहिए होता है.
एक गिनी फाउल को रहने के लिए कम से कम 2-3 वर्ग फुट जगह की जरूरत होती है.
पोषण-
गिनी फाउल को बैलेंस डाइट की जरूरत होती है.
अंडा और मीट उत्पादन के लिए अनाज, प्रोटीन, विटामिन और खनिज वाला फीड खिलाया जाता है.
हैल्थ मैनेजमेंट-
नियमित टीकाकरण, कराना, हैल्था प्रेक्टिहस अपनाना और बीमारियों के लक्षण पकड़ने के लिए पक्षियों पर पैनी नजर रखना.
प्रजनन-
चूज़ों को सफलतापूर्वक पालने और अपने झुंड को बढ़ाने के लिए प्रजनन चक्र, हीट चक्र और चूजों को पालने की ट्रेनिंग लें.
मार्केटिंग-
गिनी फाउल का बाजार खासतौर से रेस्तरां, किसान बाज़ार और मीट की दुकानें होती हैं.
मीट के लिए एक गिनी फाउल 12 से 14 सप्ताह में पौने दो किलो तक का हो जाता है.
गिनी प्राकृतिक कीट नियंत्रक है जो खेत में टिक्स और कीड़ों को कम करने में मदद करती है.
ये भी पढ़ें- Poultry India Expo: हैदराबाद में अंडे-मुर्गी को ब्रांड बनाने पर हो रही चर्चा, जानें क्या है वजह
ये भी पढ़ें- जरूरत है अंडा-चिकन को गांव-गांव तक पहुंचाकर नया बाजार तैयार किया जाए-बहादुर अली
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today