Scientist holding a vial containing a antigen for Dengue virus used in pharmaceutical researchAnimal Disease मवेशी प्लेग पशुपालकों के लिए एक बड़ी परेशानी है. मवेशी प्लेग के चलते बड़ी संख्या में पशुओं की मौत तक हो जाती है. और इस सब का एक बड़ा कारण था रिंडरपेस्ट वायरस. संक्रमण के चलते ये एक से दूसरे और दूसरे से अन्य पशुओं को प्रभावित करता था. हालांकि भारत समेत दुनियाभर के ज्यादा देशों में इस वायरस पर काबू पा लिया गया है. लेकिन इस पर होने वाली रिसर्च के चलते लैब में रिंडरपेस्ट वायरस को स्टोर करके रखा गया है. लेकिन लैब में रखा वायरस कहीं खतरा न बन जाए इसके लिए भी जरूरी कदम उठाए जाते हैं. लैब में होने वाली ऐसी की कुछ तैयारियों की इंटरनेशनल संस्थाएं समीक्षा करती हैं.
भोपाल मध्य प्रदेश में बनी निशाद लैब में भी ये समीक्षा की गई थी. जो जांच के दौरान मानकों पर खरी उतरी. इसके बाद ही भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली कि मवेशी प्लेग’ की रोकथाम के लिए बने एलीट ग्लोबल ग्रुप में भारत को शामिल किया गया है. वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ एनिमल हैल्थ (WOAH) के एक कार्यक्रम के दौरान भारत को मिली इस कामयाबी की घोषणा की गई. विश्व पशु स्वास्थ्य और जैव सुरक्षा के क्षेत्र में इसे एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है.
रिंडरपेस्ट को मवेशी प्लेग भी कहा जाता है. मवेशी प्लेग इतिहास में पशुधन की सबसे खतरनाक बीमारी के रूप में दर्ज है. लेकिन साल 2011 से वर्ल्ड लेवल पर इसे खत्म करने के लिए एक ग्रुप बनाने के साथ एक अभियान शुरू किया गया था. हालांकि कुछ जानकारी के मुताबिक रिंडरपेस्ट वायरस-युक्त सामग्री (RVCM) अभी भी कुछ प्रयोगशालाओं में बनी हुई है, जो जारी होने पर संभावित जोखिम पैदा करती है. यही वजह है कि रिंडरपेस्ट बीमारी से दुनिया को मुक्त बनाए रखने के लिए, FAO और WOAH ने RVCM के स्टोरेज को दुनिया भर में कुछ उच्च सुरक्षा प्रयोगशालाओं तक सीमित रखने के लिए सख्त नियम लागू किए हैं. इसी के चलते ही भारत ने 2012 में एवियन इन्फ्लूएंजा के लिए एक उच्च-नियंत्रण बीएसएल-3 सुविधा और WOAH संदर्भ प्रयोगशाला ICAR-NIHSAD को RVCM के लिए अपने राष्ट्रीय भंडार के रूप में नामित किया था.
वहीं औपचारिक रूप से 2019 में RHF स्थिति के लिए भी अपना आवेदन पेश किया था. FAO और WOAH द्वारा नियुक्त इंटरनेशनल एक्सपर्ट द्वारा मार्च 2025 में ICAR-NIHSAD का संयुक्त निरीक्षण किया गया था. सख्त मूल्यांकन के बाद संस्थान को अब अपने मजबूत जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल, प्रभावी सूची प्रबंधन और आपातकालीन स्थितियों के लिए तत्परता की स्थिति को मान्यता देते हुए एक साल की अवधि के लिए कैटेगिरी A RHF के रूप में आधिकारिक तौर पर मान्यता मिली है. यह मान्यता भारत को दुनिया भर में केवल छह सुविधाओं के एक प्रतिष्ठित समूह में रखती है जिन्हें रिंडरपेस्ट वायरस सामग्री को सुरक्षित रूप से रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है. भारत की ये कामयाबी वैश्विक पशु स्वास्थ्य, जैव सुरक्षा और वन हेल्थ फ्रेमवर्क में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को पुख्ता करती है.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि रिंडरपेस्ट वायरस के उन्मूलन में भारत की भूमिका ऐतिहासिक थी. आज भी उस विरासत को संरक्षित करने में इसकी भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण है. यह मान्यता केवल रोकथाम के बारे में नहीं है, ये जिम्मेदारी और तत्परता के बारे में है." समिति ने भारत को वैक्सीन बीज सामग्री से संबंधित मामलों पर आगे बढ़ने के लिए भी प्रोत्साहित किया है, जो भविष्य में कैटेगिरी B पदनाम के लिए इसके आवेदन को मजबूत करेगा. कैटेगिरी A RHF के रूप में ICAR-NIHSAD का पदनाम वैश्विक पशु स्वास्थ्य की सुरक्षा में भारत के निरंतर नेतृत्व का प्रमाण है और रोग नियंत्रण और रोकथाम के अंतर्राष्ट्रीय मानकों के प्रति देश की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
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