एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय की रिपोर्ट.Food Sector किसान बाजार उसे कहा जाता है जहां सामान किसान और पशुपालक के पास से होता हुआ आता है. इसे खाने-पीने के सामान का बाजार भी कहा जाता है. इसमे अनाज, दाल, डेयरी प्रोडक्ट, मीट, मछली, अंड आदि शामिल हैं. अमूल के पूर्व एमडी और इंडियन डेयरी एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि आज की तारीख में ये बाजार 50 लाख करोड़ रुपये का है. और अच्छी बात ये है कि इसके बढ़ने की रफ्तार जारी है. इसके बढ़ने की रफ्तार पर नजर डालें तो वो 12 से 14 फीसद है.
लेकिन अगर सिर्फ आने वाले सात-आठ साल की बात करें तो खाने-पीने का ये बाजार 170 लाख करोड़ के आंकड़े पर पहुंच जाएगा. और ये तब है जब 50 लाख करोड़ के इस सेक्टर में सिर्फ सात लाख करोड़ का बाजार ही ऑर्गेनाइज्ड है. लेकिन अच्छी बात ये है कि डेयरी हो या लाइव स्टॉक सेक्टर, सभी में आने वाले सात से आठ साल में करीब 1.60 लाख करोड़ का निवेश आएगा. सबसे अच्छी बात ये है कि ऐसा होने से युवाओं को सबसे ज्यादा नौकरियों के मौके गांवों में ही मिलेंगे.
आरएस सोढ़ी ने किसान तक को बताया कि देश में जो खाने-पीने के सामान का जो 50 लाख करोड़ का बाजार है वो 2030 तक 170 लाख करोड़ का हो जाएगा. अभी 50 लाख करोड़ के बाजार में सात लाख करोड़ का बाजार ही ऑर्गेनाइज्ड है. इसमे से भी 3.5 लाख करोड़ का बाजार अकेले डेयरी का ही है. अगर डेयरी की ही बात करें तो ये सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है. 50 साल पहले दूध का उत्पादन 2.40 करोड़ टन था और अब ये आंकड़ा करीब 25 करोड़ टन को छू चुका है. दूध उत्पादन में हर 25 साल में तीन गुना इजाफा होता है. आज हमारे देश में हर रोजाना 60 करोड़ लीटर से ज्यादा दूध का उत्पादन होता है.
इसमे से 12 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन ऑर्गेनाइज्ड तरीके से हो रहा है. यही 12 करोड़ लीटर दूध सात बाद 24 करोड़ लीटर का हो जाएगा. अब अगर इंडस्ट्री के लिहाज से बात करें तो ऑर्गेनाइज्ड तरीके से एक लाख लीटर दूध प्रोसेसिंग में 50 करोड़ रुपये का खर्च आता है. इस आंकड़े के हिसाब से सात साल में अकेले डेयरी सेकटर में एक लाख करोड़ का निवेश आएगा. मतलब 60 हजार करोड़ रुपये प्रोसेसिंग में और 40 हजार करोड़ रुपये का खर्च मशीनों पर आएगा.
ये तो रही निवेश की बात, अब अगर जॉब यानि नौकरी और कारोबार की बात करें तो एक लाख लीटर दूध प्रोसेस होने पर छह हजार लोगों के लिए नौकरी और कारोबार के रास्ते खुलते हैं. इसमे टॉप से लेकर नीचे तक सभी तरह की नौकरी शामिल हैं. इसमे से एक बड़ा हिस्सा यानि पांच हजार जॉब गांवों में होंगी तो एक हजार शहर में.
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