
ऐसा दावा किया जा रहा है कि ये पहला मौका है जब भारत ने किसी दूसरे देश के लिए डेयरी दरवाजे खोले हैं. इसका एक बड़ा फायदा भारत की डेयरी प्रोसेसिंग यूनिट और डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्टर को मिलेगा. लेकिन इसके साथ सरकार ने कुछ कंडीशन भी लगाई हैं. उन कंडीशन के दायरे में रहते हुए ही इस डील का फायदा उठाया जा सकता है. गौरतलब रहे जैसे ही इंटरनेशनल मार्केट में मौका मिलता है तो भारत से घी-मक्खन का एक्सपोर्ट बढ़ जाता है. डेयरी एक्सपर्ट के मुताबिक साल में ऐसे दो-तीन मौके आते हैं जब भारत से घी-मक्खन का एक्सपोर्ट बढ़ जाता है.
इसकी बड़ी वजह होती है फैट की घटती-बढ़ती कीमतें. और इसी को ध्यान में रखते हुए ही भारत ने न्यूजीलैंड के साथ ये समझौता किया है. भारत और न्यूऔजीलैंड के बीच सोमवार को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी FTA पर रजामंदी हुई है. इस एग्रीमेंट के बाद 95 फीसदी प्रॉडक्ट्स पर टैरिफ कम हो जाएगा. समझौते के बाद न्यूरजीलैंड ने भारत से ड्यूटी फ्री टेक्साटाइज, रेडीमेड गारमेंट्स और लेदर के आयात को मंजूरी दे दी है. इस लिस्ट में मरीन प्रॉडक्ट्सी भी शामिल हैं. वहीं भारत ने वाइन, एवाकाडो और ब्लूकबेरी के आयात पर ड्यूटी कम कर दी है.
अमूल के पूर्व एमडी और इंडियन डेयरी एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है, ‘इंडिया-न्यूजीलैंड FTA का फायदा यह है कि दुनिया के सबसे बड़े डेयरी एक्सपोर्टर से डेयरी सामान की डंपिंग का कोई खतरा नहीं है. साथ ही इससे भारतीय किसानों की फार्म गेट कीमतों पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा. साथ ही USA भी अब इस मुद्दे पर दबाव नहीं बना पाएगा. इस डील के तहत घी, मक्खन, पनीर बनाने में इस्तेमाल होने वाले दूध और दूध के कुछ हिस्से अब न्यूजीलैंड से आएंगे. कुल मिलाकर, यह डेयरी प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे साल-दर-साल सप्लाई में स्थिरता आएगी.’
डॉ. सोढ़ी ने बताया कि साल में दो-तीन बार ऐसे मौके आते हैं जब इंटरनेशनल मार्केट में फैट की कीमत आसमान छूने लगती हैं. ऐसे में भारत से घी और मक्खन का एक्सपोर्ट बढ़ जाती है. जैसे साल 2024-25 में डेयरी एक्सपोर्ट बीते साल के मुकाबले 80 फीसद तक बढ़ गया है. और इसमे सबसे बड़ा आंकड़ा घी-मक्खन का है. ऐसे ही जब न्यूजीलैंड में फैट की कीमत कम होगी और भारत में उसके दाम ज्यादा होंगे तो हम उसे न्यूजीलैंड से इंपोर्ट कर अपने यहां घी-मक्खन, पनीर और चीज बनाने में प्रोसेस करेंगे और तैयार आइटम को एक्सपोर्ट कर देंगे. जैसे अभी हमारे यहां दूध पाउडर और फैट महंगा है. जबकि न्यूजीलैंड में सस्ता है. इससे हमारा एक्सपोर्ट हमेशा बना रहेगा. ऐसा नहीं कि दो महीने तो जमकर एक्सपोर्ट किया और फिर ठंडे होकर बैठ गए. लेकिन ये आइटम लोकल बाजार में नहीं बेचा जाएगा, सभी एक्सपोर्ट करने होंगे.
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