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Poultry: बीमार मुर्गियों के क्या हैं लक्षण? बीमारियों की रोकथाम का क्या है उपाय?

Poultry: बीमार मुर्गियों के क्या हैं लक्षण? बीमारियों की रोकथाम का क्या है उपाय?

मुर्गी पालन का व्यवसाय बहुत अच्छा है लेकिन इसमें बहुत सारी जानकारी होना बहुत जरूरी है. मुर्गी पालन व्यवसाय में सबसे बड़ी समस्या मुर्गियों में होने वाली बीमारियां हैं. कई बार इन बीमारियों के कारण पोल्ट्री फार्म को बंद करना पड़ता है. ऐसे में अगर आप पहले से ही बीमारियों के प्रति सचेत हो जाएं और उनके बारे में जानकारी हासिल कर लें तो आप अपने पोल्ट्री फार्म को बचा सकते हैं.

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मुर्गी पालन में इन बातों का रखें ध्यान मुर्गी पालन में इन बातों का रखें ध्यान

आजकल पोल्ट्री फार्मिंग का व्यवसाय बहुत प्रसिद्ध और लोकप्रिय है, यही कारण है कि ज्यादातर लोग इस व्यवसाय को करने के बारे में सोचते हैं. इसमें कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. यह बिजनेस काफी लाभदायक साबित होता है. देखा जाए तो तेजी से बदलते समय में आपका रुझान नौकरियों की ओर से हटता नजर आ रहा है. उन्हें अपना खुद का बिजनेस करने में ज्यादा दिलचस्पी होती है, यही कारण है कि लोग इसे छोटे पैमाने पर शुरू करते हैं और फिर धीरे-धीरे इसे बड़ा करते हैं.

मुर्गी पालक इन बातों का रखें ध्यान

मुर्गी पालन का व्यवसाय बहुत अच्छा है लेकिन इसमें बहुत सारी जानकारी होना बहुत जरूरी है. मुर्गी पालन व्यवसाय में सबसे बड़ी समस्या मुर्गियों में होने वाली बीमारियां हैं. कई बार इन बीमारियों के कारण पोल्ट्री फार्म को बंद करना पड़ता है. ऐसे में अगर आप पहले से ही बीमारियों के प्रति सचेत हो जाएं और उनके बारे में जानकारी हासिल कर लें तो आप अपने पोल्ट्री फार्म को बचा सकते हैं. तो इसी कड़ी में आज हम आपको बीमारियों, उनके लक्षण और इलाज के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं.

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बीमार मुर्गियों के लक्षण

  • बीमार चूजे या मुर्गियां एक जगह इकट्ठा होने लगते हैं. कुछ मुर्गियां अपनी आंखें बंद करके और सिर झुकाकर बैठती हैं.
  • बीमार मुर्गियां कम चारा और पानी खाती और पीती हैं या पानी पीना बिल्कुल बंद कर देती हैं. वहीं कुछ बीमारियों के दौरान मुर्गियां अधिक पानी पीती हैं.
  • बीमारी के दौरान मुर्गियों के पंख ढीले होकर लटक जाते हैं.
  • मुर्गियों के पंखों की सजावट असंतुलित हो जाती है. कभी-कभी पैर भी अजीब से हो जाते हैं जिसके वजह से मुर्गियां लंगड़ाकर चलती हैं. वह खड़ी होने में असमर्थ हो जाती है और अधिकतर बैठी रहती है.
  • पेचिश होने पर फलियों का रंग हरा, पीला, सफेद या लाल हो जाता है.
  • मुर्गियों का उत्पादन कम हो जाता है. साथ ही अंडे का उत्पादन कम या बंद हो जाता है.
  • मुर्गियों के पंख सूख जाते हैं या सूज जाते हैं. इसका रंग बदल जाता है और चमक कम हो जाती है.
  • मुर्गियों के शरीर का तापमान बढ़ जाता है.
  • नाक, आंख या मुंह से पानी निकलता है और मुर्गियों को सांस लेने और छींकने में दिक्कत होती है. आँखें अटक जाती हैं.
  • चूज़े और मुर्गियाँ बीमारियों के कारण भी मर जाते हैं.

कैसे करें रोकथाम?

मुर्गियों में कई तरह की बीमारियां होती हैं. एक बार यह बीमारी हो जाए और जल्दी नियंत्रित न की जाए तो यह बहुत नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए बीमारियों की रोकथाम को सबसे अधिक महत्व दिया जाना चाहिए. इलाज से बेहतर रोकथाम है. कई बार दवा और इलाज का खर्च मुर्गी की कीमत से भी ज्यादा हो जाता है. मुर्गी पालन करने वाले किसान के लिए बीमारी की सही पहचान करना संभव नहीं है लेकिन वह कुछ निवारक उपाय जरूर अपना सकता है ताकि मुर्गियां बीमारियों से बची रहें. इन तरीकों में मुर्गियों का उचित चयन, सही मुर्गीपालन, संतुलित आहार, बीमार मुर्गियों को अलग रखना, निवारक टीकाकरण देना आदि शामिल हैं. बीमारियों से बचाव के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए.

  • कुछ बीमारियां अंडों के माध्यम से चूजों में फैलती हैं. इसलिए चूजा उत्पादन के लिए स्वस्थ मुर्गियों से प्राप्त अंडों का उपयोग करें या विश्वसनीय हैचरी से ही चूजे खरीदें.
  • मुर्गियों को उचित स्थान दें, कम जगह में बहुत अधिक मुर्गियां न रखें नहीं तो मुर्गियों की वृद्धि और उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. मुर्गियां कमजोर हो सकती हैं और बीमार पड़ सकती हैं. 
  • मुर्गियों में कई बुरी आदतें जैसे नोचना, एक-दूसरे को खाना आदि विकसित हो जाएंगी.
  • मुर्गी घर हवादार होना चाहिए ताकि मुर्गियों को ताजी हवा मिल सके और गंदी हवा बाहर जा सके. साथ ही बिस्तर भी सूखा रह सकता है.
  • भोजन और पानी के लिए पर्याप्त बर्तन होने चाहिए. बर्तन साफ़ रखें. यदि हम भोजन और पानी को खरपतवार आदि से बचाएंगे तो बीमारियों से बचे रहेंगे.