सर्दी में मुर्गियों को घेर सकती हैं ये 5 जानलेवा बीमारियां, समय पर रोकथाम से ही बचेगा नुकसान

सर्दी में मुर्गियों को घेर सकती हैं ये 5 जानलेवा बीमारियां, समय पर रोकथाम से ही बचेगा नुकसान

ठंड में मुर्गी पालन जोखिम भरा, एक बीमार चूजा पूरे फार्म को कर सकता है संक्रमित. एस्परजिलोसिस और पुलोरम जैसे रोग चूजों की जान ले सकते हैं, बचाव जरूरी. रानीखेत और फाउल टायफाइड का टीकाकरण और दवा समय पर दें – विशेषज्ञ सलाह. साफ-सफाई, चूजों की निगरानी और समय पर अलगाव से ही रोकी जा सकती है बीमारी की चेन.

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सर्दी में मुर्गियों को घेर सकती हैं ये 5 जानलेवा बीमारियां, समय पर रोकथाम से ही बचेगा नुकसानपोल्ट्री फार्म को सुरक्षित रखना जरूरी

सर्दियों का मौसम मुर्गियों के लिए बेहद संवेदनशील होता है. थोड़ी सी लापरवाही न केवल एक चूजे की जान ले सकती है बल्कि पूरा फार्म खतरे में डाल सकती है. कृषि विशेषज्ञ और पशु चिकित्सकों की मानें तो इस मौसम में मुर्गियों में वायरल, बैक्टीरियल, फंगल, परजीवी और पोषण संबंधी बीमारियों का खतरा सबसे अधिक होता है.

विशेषज्ञों ने मुर्गियों में होने वाली 5 प्रमुख बीमारियों के बारे में चेताया है, जिनसे बचाव न किया गया तो किसान को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.

मुर्गियों में होने वाले 5 प्रकार के रोग

मुर्गियों में पाए जाने वाले रोग सामान्यतः पांच प्रकार के होते हैं-

  1. वायरल रोग - जैसे रानीखेत, गम्बोरों, फाउल पॉक्स आदि.
  2. बैक्टीरियल रोग- जैसे पुलोरम, फाउल टायफाइड, कोलिबैसिलॉसिस आदि.
  3. परजीवी रोग- जैसे कोक्सिडियोसिस, कीड़े लगना आदि.
  4. फंगल रोग- जैसे एस्परजिलोसिस (Aspergillosis).
  5. पोषण संबंधी रोग - जैसे विटामिन की कमी, कैल्शियम फॉस्फोरस की कमी से होनेवाली समस्याएं

1. एस्परजिलोसिस (Fungal Disease)

  • लक्षण: सांस लेने में तकलीफ, छींक आना, अचानक मृत्यु
  • उपचार: कॉपर सल्फेट या पोटैशियम परमैग्नेट का धुआं करें
  • बचाव: गीला और फफूंदी लगा दाना न खिलाएं

2. फाउल टायफाइड (Bacterial Disease)

  • लक्षण: सुस्ती, भूख न लगना, अंडा उत्पादन में कमी
  • उपचार: Ciprofloxacin, Enrofloxacin (पशु चिकित्सक की सलाह अनुसार)
  • बचाव: सफाई रखें, चूहों-मच्छरों से बचाव करें

3. पुलोरम रोग (Bacterial Disease in Chicks)

  • लक्षण: सफेद दस्त, पंख बिखरे हुए, अचानक मृत्यु
  • उपचार: Furazolidone, Enrofloxacin, Sulpha दवाएं
  • बचाव: बीमार चूजों को अलग करें, केवल “Pullorum-tested” चूजे खरीदें

4. रानीखेत रोग (Viral Disease)

  • लक्षण: गर्दन टेढ़ी, हरा दस्त, चोंच से झाग, अचानक मृत्यु
  • उपचार: इलाज नहीं, मल्टीविटामिन और इलेक्ट्रोलाइट से राहत
  • बचाव: 7वें दिन से टीकाकरण शुरू करें, समय-समय पर दोहराएं

5-गम्बोरों रोग

  • लक्षण-सिर और गर्दन टेढ़ा होना, हरा पतला दस्त, चोंच से झाग निकलना अंडा उत्पादन कम हो जाना, अचानक मृत्यु.
  • उपचार-इसका कोई इलाज नहीं. इलेक्ट्रोलाइट और मल्टीविटामिन देने से कुछ राहत मिलती है.
  • रोकथाम-टीकाकरण 7 वें दिन से शुरू करें और समय-समय पर दोहराएं.

निष्कर्ष:

मुर्गी पालन से जुड़ी इन बीमारियों के बारे में जागरुकता और समय पर निगरानी, टीकाकरण और दवा का उपयोग ही फार्म को सुरक्षित रख सकता है. पशु चिकित्सक की सलाह के बिना कोई दवा न दें और फार्म की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.

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