Lumpy Skin Disease Virus: लंपी वायरस को लेकर एक बार फिर देश के किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है. उत्तराखंड में बीते दिनों 3 हजार से अधिक मवेशी लंपी वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. इसके साथ ही राजस्थान और महाराष्ट्र से भी लंपी वायरस संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. वर्ष 2022 में लंपी वायरस ने देश में जो तबाही मचाई थी, उसको देखकर देश के किसानों को लंपी वायरस को लेकर अभी से सावधानी बरतने की आवश्यकता है, जिसको लेकर किसान तक ने आचार्य नरेंद्र देव यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर और टेक्नोलॉजी अयोध्या में वेटरनरी विभाग में सहायक प्रोफेसर आरपी दिवाकर से विशेष बातचीत की है, जिसमें वेटरनरी विशेषज्ञ डॉ आरपी दिवाकर ने लंपी वायरस के मद्देनजर किसानों और पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी दी है. किसान तक से बातचीत में उन्होंने कहा, जिन मवेशियों का टीकाकरण हो चुका है, वह भी लंपी वायरस से दोबारा संक्रमित हो सकते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि देशी नुस्खे से वह संक्रमण के प्रभाव को कम कर सकते हैं.
किसान तक से बातचीत में आचार्य नरेंद्र देव यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर और टेक्नोलॉजी अयोध्या में वेटरनरी विभाग में सहायक प्रोफेसर आरपी दिवाकर ने कहा कि 2021-2022 में लंपी संक्रमण के बाद देश में बड़ी संख्या में मवेशियों को टीका लगाया गया था, लेकिन इसके बाद भी बड़ी संख्या में टीकाकरण वाले मवेशी भी दोबारा लंपी वायरस से संक्रमित हो सकते हैं. इसके पीछे की वजह समझाते हुए उन्होंने कहा कि टीके की उम्र 1 साल ही है. मसलन, जिन मवेशियों को लंपी से बचाव के लिए टीका लगाया गया है, उन्हें टीके से एक साल की इम्यूनिटी ही मिली है. टीके लगने के एक साल बीतने के बाद मवेशियों फिर से संक्रमित हो सकते हैं.
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मौजूदा समय में सामने आए लंपी वायरस के मामले और देश में इसके प्रसार की संभावानओं संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि ये संभावना है कि लंपी वायरस देश में दोबारा फैल सकता है. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे वायरस के अनुकूल मौसम होगा तो उसका प्रसार तेज होगा. मालूम हो कि लंपी वायरस हवा के साथ फैलता है.
किसान तक से बातचीत में वेटरनरी विशेषज्ञ डाॅ आरपी दिवाकर ने मवेशियों को लंपी से संक्रमित होने पर उनकी इम्यूनिटी बढ़ाने का तरीका भी बताया. उन्होंने किसानों और पशुपालकों को सलाह देते हुए कहा कि संक्रमण को अगर शुरुआती दिनों में किसानों ने पहचान लिया है, तो उन्हें मवेशियों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कुछ आवश्यक उपाय अपनाने चाहिए, जिसके तहत संक्रमित मवेशियों का 5 एमएल खून सीरिंज से निकाल कर वापिस उनमें चढ़ा दिया जाए तो उनकी इम्यूनिटी बढ़ जाती है. डाॅ आरपी दिवाकर ने बताया कि किसान किसी प्रशिक्षित कर्मी की मदद या स्वयं संक्रमित मवेशी के कानों की नसों के पास से खून निकाल कर वापिस मवेशी को लगा सकता है. इससे गांठे सूखने लगती है. महंगी दवा लगाने की जरूरत पड़ती है.
किसान तक से बातचीत में वेटरनरी विशेषज्ञ डाॅ आरपी दिवाकर ने बताया कि अगर मवेशी लंपी से संक्रमित हैं ताे और उनके गांठें घाव बन गई हैं तो किसान देशी नुस्खा अपनाकर मवेशियों को राहत दे सकते हैं. उन्होंने देशी नुस्खे के जानकारी देते हुए बताया कि किसान दस नग लहसुन, दस ग्राम हल्दी पाउडर, तुलसी के पत्ते, नीम के पत्ते और मेहंदी के पत्ते को मिलाकर एक पेस्ट बना लें, जिसमें 500 ML नारियल के तेल में उबाल लें. थाेड़ी देर बाद, जब ये पेस्ट ठंडा हो जाए तो इसे संक्रमित मवेशियों की गांठों वाले घाव में लगा लें. इससे मवेशियों को राहत मिलेगी.
किसान तक से बातचीत में वेटरनरी विशेषज्ञ डाॅ आरपी दिवाकर ने बताया कि देशी नुस्खे समेत संक्रमित मवेशियों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उपाय किए जा सकते हैं, लेकिन किसी भी मवेशी को लंपी वायरस से संक्रमित होने से बचाने के लिए टीकाकरण ही अंतिम उपाय है. ऐसे में किसानों को अपने मवेशियों का टीकाकरण जरूरी रूप से करना चाहिए. साथ ही डॉ दिवाकर ने किसानों को सलाह दी कि वह मवेशियों के आहार में नमक की मात्रा बढ़ाएं, जो मवेशियों को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
लंपी वायरस के लक्षणों की जानकारी देते हुए वेटरनरी विशेषज्ञ डाॅ आरपी दिवाकर ने बताया कि वायरस से संक्रमित होने पर गाय और भैंस को बुखार आ जाएगा. हालांकि तीसरे दिन बुखार उतर जाएगा. नाक से पानी बहना, आंख से आंसू निकालना, गर्दन के पास गांठे निकलना और ये गांठे शरीर में धीरे-धीरे फैलना लंपी के लक्षण हैं.
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