देश में पिछले कुछ महीनों से मवेशियों का स्वास्थ्य चिंता का कारण बन कर उभरा है. असल में कई तरह की संक्रमित बीमारियों के चलते देश में पशुधन को हानि हुई है. ऐसे ही एक खतरनाक वायरस के प्रकोप से देश गुजरा है, जिसका नाम है लंपी स्कीन डिजीज है. इस वायरस ने कई पशुओं की जान ले ली. खासतौर पर गाय में इसका बहुत बुरा असर देखने को मिला. इस बीमारी की बात करें तो यह बहुत ही खतरनाक है; इसमें पशुओं की त्वचा प्रभावित होती हैं. लेकिन, इससे निपटने के लिए देश में टीकाकरण भी जारी है. जिसके तहत अभी तक 7 करोड़ से अधिक मवेशियों का टीकाकरण किया जा चुका है. आइए जानते हैं कि लंपी स्कीन डिजीज के लक्षण क्या हैं और कैसे मवेशियों को इससे सुरक्षित रखा जा सकता है.
लंपी वायरस से संक्रमित मवेशियों में कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं. जिसमें शरीर पर धाव होना, पशुओं की आंख से पानी आना, लार टपकना, वजन में कमी आना इसके अलावा गायों में दूध देने की क्षमता भी कम होना शामिल है. इस खतरनाक संक्रमण की वजह से देश के राज्यों में अनगिनत पशुओं की जान भी गई है. पशुपालन विभाग ने बताया कि इस खतरनाक वायरस से पशुओं को बचाने के लिए न सिर्फ टीकाकरण जरूरी है बल्कि विशेष सावधानी रखने की जरूरत है.
लंपी खतरनाक बीमारी है, यह पशुओं की त्वचा को प्रभावित करती है. आमतौर पर खून चूसने वाले कीटों या मच्छर मक्खी के माध्यम से ये रोग पशुओं में फैलता है. इस गंभीर बीमारी से निजात पाने के लिए देश में अबतक 7 करोड़ से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है, जो कि एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. इसके अलावा पशुपालन विभाग ने और भी कई तरह के बचाव उपाय का जिक्र किया है.
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लंपी एक संक्रामक और गंभीर बीमारी है. आम तौर पर गायों को यह सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है. इससे जानवरों को बचाने के लिए टीकाकरण के साथ- साथ साफ सफाई का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है. इनके रहने के लिए स्वच्छ और हवादार स्थान की व्यवस्था करनी चाहिए. साथ ही स्वस्थ पशुओं को बीमार पशुओं के संपर्क में आने से बचाना होगा. इसके अलावा आप पशुओं को फिटकरी के पानी से नहलाएं और किसी भी अन्य बीमारी या घाव से उन्हें सुरक्षित रखने का प्रयास करें. इसके साथ- साथ उन्हें मच्छर, मक्खी और अन्य कीटों से सुरक्षित रखें.
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