पूरे देश में भीषण गर्मी पड़ रही है. इससे इंसान के साथ-साथ पुश भी परेशान हो गए हैं. खास बात यह है कि गर्मी का सबसे ज्यादा असर दुधारू मवेशियों के ऊपर देखने को मिल रहा है. अधिक तपिश के चलते मवेशियों का दूध उत्पादन कम हो गया है. ऐसे में पशुपालक किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. लेकिन किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. वे अपने मवेशियों को खास तरह की घास और चारा खिलाकर गर्मी के मौसम में भी दूध का उत्पादन बढ़ा सकते हैं.
एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मी के मौसम में दुधारू पशुओं के लिए लोबिया चारा काफी फायदेमंद होता है. इसमें कई सारे पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं. खास बात यह है कि लोबिया में औसतन 15 से 20 फीसदी प्रोटीन पाया जाता है. वहीं, इसके सूखे दानों में लगभग 20 से 25 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है. ऐसे में अगर मवेशी गर्मी के मौसम में चारे के रूप में इसका सेवन करते हैं, तो उनका दूध देने की क्षमता बढ़ जाती है. हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अनुसार किसान लोबिया की उन्नत किस्मों को उगाकर चारा का उत्पादन बढ़ा सकते हैं.
ये भी पढ़ें- फलों की खेती में सफलता की कहानी लिख रहीं उत्तराखंड की दो बहनें, लाखों में है कमाई
ऐसे लोबिया एक तरह की सिंचित खास की किस्म है. इसकी खेती गर्मी और खरीफ मौसम में भी की जा सकती है. इसके ऊपर गर्मी और तेज धूप का उतना अधिक असर नहीं होता है. यही वजह है कि गर्मी के मौसम में भी लोबिया की फसल तेजी से बढ़ती है. ऐसे यह जल्द बढ़ने वाली फलीदार, पौष्टिक और स्वादिष्ट चारे वाली फसल है. हरे चारे के अलावा इसका उपयोग दलहन के रूप में भी किया जाता है. खास बात यह है कि लोबिया की फली की सब्जी भी बनाई जाती है. यानी इसकी खेती करने पर चारे के साथ-साथ दलहन का भी उत्पादन होगा.
लोबिया की बुवाई करने के बाद दो महीने में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है. यानी आप जून में बुवाई करते है, तो अगस्त से हरा चारा काटना शुरू कर सकते हैं. अगर किसान चाहें, तो लोबिया को ज्वारा, बाजरा या मक्का के साथ भी 2:1 के अनुपात में लाइनों में बो सकते हैं. इसके चारे की गुणवत्ता भी बढ़ जाती है. किसान लोबिया की सीएस 88 किस्म की बुवाई करें.
ये भी पढ़ें- Weather Forecast: कहां चलेगी भीषण लू और कहां तेज हवाओं के साथ होगी बारिश, IMD ने दी पूरी जानकारी
सीएस 88 लोबिया की एक बेहतरीन किस्म है, जो चारे की खेती के लिए सबसे अच्छा है. यह सीधी बढ़ने वाली किस्म है जिसके पत्त गरहे हरे रंग के और चौड़े होते हैं. इस किस्म की खेती सिंचित और कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में भी की जा सकती है. यह किस्म 55-60 दिनों में कटाई के लायक हो जाती है. इसके हरे चारे की पैदावार लगभग 140 से 150 क्विंटल प्रति एकड़ है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today