डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो मिनरल मिक्चर (दाना) दुधारू पशुओं के लिए बहुत जरूरी होता है. मिनरल मिक्चर खिलाने से दूध की क्वालिटी तो बढ़ती ही है साथ में पशुओं की हैल्थ भी अच्छी रहती है. लेकिन सूखे और हरे चारे के मुकाबले दाना बहुत महंगा पड़ता है. यही वजह है कि खासतौर पर गर्मियों के दौरान एनीमल एक्सपर्ट महंगे दाने के मुकाबले पशुओं को दलहनी हरा चारा खिलाने की सलाह देते हैं. लेकिन सलाह के साथ ये चेतावनी भी दी जाती है कि दलहनी चारा ज्यादा ना खिलाया जाए.
दलहनी हरे चारे के साथ सूखा चारा मिलाकर खिलाएं. बावजूद इसके कुछ पशुपालक भाई-बहिन दलहनी हरा चारा ज्यादा खिलाने लगते हैं. जिस वजह से पशुओं को पेट संबंधी कई तरह की बीमारी हो जाती हैं. हालांकि इसका इलाज घर में ही आसानी से किया जा सकता है.
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डेयरी एक्सपर्ट सोमवीर सिंह ने किसान तक को बताया कि हरे चारे में नमी की मात्रा काफी होती है. पशु जब इस दौरान हरा चारा ज्यादा खाता है तो उसे डायरिया समेत और भी दूसरी बीमारी होने का खतरा बना रहता है. इतना ही नहीं उस चारे में मौजूद नमी के चलते ही दूध की क्वालिटी पर भी असर पड़ता है. इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि जब हमारा पशु हरा चारा खा रहा हो या बाहर चरने के लिए जा रहा हो तो हम पहले उसे सूखा चारा और थोड़ा बहुत मिनरल्स जरूर दें. सूखा चारा खूब खिलाने से हरे चारे में मौजूद नमी का स्तर सामान्य हो जाता है. वहीं मिनरल्स देने से दूध में फैट और दूसरी चीजों का स्तर भी बढ़ जाता है और दूध की क्वालिटी खराब नहीं होती है.
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पशु कौनसा है और उसकी उम्र कितनी है, ये सब बातें देखने के बाद ही उसे हरा, सूखा चारा और दाना खाने को दिया जाता है. इसलिए दाने की जगह दलहनी हरा चारा खिलाते वक्त इस बात का खास ख्याल रखें की उसकी मात्रा ज्यादा ना हो जाए. अगर ज्यादा हरा चारा खाने से पशु को दस्त हो जाएं तो फौरन ही डाक्टर की सलाह लें. पेट में अफरा हो तो बड़े पशु को 500 ग्राम सरसों के तेल में 50 ग्राम तारपीन का तेल मिलाकर पिलाया जा सकता है. साथ ही दलहनी हरे चारे को थोड़ा सा सुखाकर खिलाएं तो वो नुकसान नहीं करेगा. क्योंकि सुखाने से उसकी नमी कम हो जाएगी.
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