14 साल पहले एक दिसम्बर को लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (LUVAS) की स्थापना हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हिसार में हुई थी. यूनिवर्सिटी ने तरक्की की और छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ती चली गई. आसपास के राज्यों में ही नहीं, दूर-दराज के राज्यों में भी लुवास ने खूब नाम कमाया. जरूरत पड़ने पर लुवास के लिए नई बिल्डिंग बनवाई गई. नई बिल्डिंग की लागत आई कुछ कम 250 करोड़ रुपये. नई बिल्डिंग में बहुत सारे डिपार्टमेंट बनकर तैयार हो चुके हैं. छात्र-छात्राओं के लिए हॉस्टल भी तैयार हैं.
95 करोड़ की लागत से पशुओं के लिए फार्म हाउस भी बनकर तैयार हो चुके हैं. बावजूद इसके लिए लुवास अपनी नई बिल्डिंग में ट्रांसफर नहीं हो पा रहा है. नई बिल्डिंग भी हिसार शहर के बाहरी इलाके में हिसार-चंडीगढ़ हाइवे पर बनी है. जानकारों की मानें तो कई सारी ऐसी वजह हैं जिसके चलते लुवास पुरानी बिल्डिंग से निकलकर नइ्र बिल्डिंग में जाने को तैयार नहीं है. जबकि 248 करोड़ रुपये की रकम खर्च हो चुकी है.
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हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साल 2024, जनवरी में ही कुलपति सचिवालय-सह-प्रशासनिक ब्लॉक का उद्घाटन किया था. लुवास का नया परिसर 1125 एकड़ में बना है. लेकिन बीते कई साल से छात्र-छात्राओं की बांट जोह रहा है. लुवास की नई बिल्डिंग शुरू ना होने के पीछे कुछ वजह ये भी बताई जा रही हैं. लुवास के कर्मचारी नए परिसर में जाने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि कई महत्वपूर्ण इमारतों में अधूरी सुविधाएं हैं, खासकर सीवरेज और पीने योग्य पानी की सप्लाई. मौजूदा लुवास परिसर एचएयू परिसर के अंदर है, जो हिसार शहर के अंदरूनी हिस्से में आता है और नया परिसर शहर से करीब 10 किमी की दूरी पर है.
लुवास के प्रवक्ता डॉ. दिनेश मित्तल का कहना है कि मुझे नए जगह पर हुए निर्माण के नए चरण के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इस बारे में भी अभी कोई जानकारी नहीं है कि लुवास के अधिकारी नए परिसर में कब शिफ्ट होंगे. गौरतलब रहे पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान पाठ्यक्रमों को विभाजित करके चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) से लुवास को अलग किया गया था, जिसका मकसद पशु चिकित्सा, पशु विज्ञान, मछली विज्ञान और संबद्ध विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में शिक्षा प्रदान करना था.
लुवास दो दिसंबर को एचएयू स्थित पुराने परिसर में अपना 15वां स्थापना दिवस मना रहा है. 2010 में लुवास के गठन के समय 80:20 के फार्मूले के साथ विभाजित किया गया था. पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय जो पहले एचएयू का हिस्सा था, उसे लुवास में शामिल कर लिया गया और इससे संबंधित बुनियादी ढांचा भी नए विश्वविद्यालय को दे दिया गया. अब, लुवास अपने दो कॉलेजों पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय और डेयरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में विभिन्न पाठ्यक्रम की पढ़ाई करता है.
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