आप सब ने कड़क चाय तो जरुर पी होगी. लेकिन, पर क्या आप ने कड़कनाथ मुर्गे के बारे में सुना है? मुर्गे की प्रजाति में सबसे ज्यादा सर्वश्रेष्ठ माना जाना वाला कड़कनाथ मुर्गा मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में पाया जाता है. इस मुर्गे की एक और खासियत है. इस मुर्गे का शरीर,खून, चोंच, मांस, और अंडा सभी काले रंग के होते हैं. सामान्य मुर्गे की अपेक्षा इसका स्वाद और गुण कई गुना ज्यादा है. वहीं स्वाद और गुणों को लेकर ही बाजार में इसकी मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इसका पालन किसानों के लिए आय और मुनाफे का सौदा है. तो आइये जानते हैं कड़कनाथ मुर्गा पालन में कुछ ध्यान रखने योग्य बातें.
वैसे तो यह मुर्गा मूल रूप से मध्य प्रदेश के झाबुआ के आदिवासियों अंचलों में पाया जाता है. लेकिन, अब वैज्ञानिकों के शोध की मदद से इसका पालन छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में भी इसका पालन आसानी से किया जा रहा है.
अगर आप इसका पालन करते हैं तो इसके 100 चूजों को पालने के लिए 150 वर्ग फीट जगह की जरुरत होती है. शेड में साफ-सफाई रखें और उसमें पानी और बिजली की व्यवस्था करें. इसके शेड उच्चें जगहों पर बनाना चाहिए. इनका आवास आरामदायक और हवादार बनाएं. एक शेड में दो अलग-अलग ब्रीड को नहीं रखना चाहिए.
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कड़कनाथ मुर्गा 4 से 5 महीने में पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं. इसका मांस बाजारों में 800 से 1000 रुपये किलो तक मिलता है. इसकी मुर्गी के अंडों की कीमत 50 रुपए तक की होती है. वहीं इसके एक दिन के चूजों की कीमत 80 से 100 रुपये तक मिलती है. इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण बाजार में इसकी मांग काफी अधिक है. इसके पालन के बारे में जानकारी लेने के लिए आप अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण ले सकते हैं. वहीं बड़े स्तर पर कारोबार करने के लिए राष्ट्रीय बैंकों और ग्रामिण बेकों द्वारा पशुपालक को लोन भी मुहैया कराया जाता है. इसका पालन कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
इस मुर्गे की कुछ खास विशेषताएं है. इसमें 25 से प्रतिशत से अधिक प्रोटीन पाया जाता है. जबकि अन्य मुर्गो में 15 से 25 प्रतिशत फैट होता है. इसमें आयरन अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है. इसका मांस बीमार लोगों के लिए काफी फायदेमंद होता है. कड़कनाथ मुर्गे की तीन प्रजातियां पाई जाती है. जिसमें जेड ब्लैक मुर्गा, पैंसिल्ड और गोल्डन ब्लैक किस्में होती है.
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