खासतौर पर खेतों में ज्वार, बाजरा, लोबिया और मक्का की बुवाई हो चुकी है. अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा और मौसम ने भी साथ दिया तो पशुओं के लिए मई-जून में भरपूर चारा मिलने लगेगा. दुधारू पशु छोटा हो या बड़ा उसके लिए इस तरह का हरा चारा बेहद जरूरी होता है. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो पौष्टिकता से भरपूर और सस्ता चारा दूध की कीमतें कम करने में बहुत मददगार साबित होता है. इतना ही नहीं दूध का उत्पादन भी बढ़ाता है. बीते दो महीने पहले चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के चारा एक्सपर्ट ने भी आने वाली गर्मियों को देखते हुए चारे के लिए खास इन्हीं चार फसलों को लेकर खास सलाह दी थी.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा के चारा एक्सपर्ट डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि हरे चारे वाली फसल को आसानी से सुखाकर साइलेज की शक्ल में स्टोर किया जा सकता है. लेकिन किसी भी चारे की फसल को स्टोर करते वक्त इस बात का भी खास ख्याल रखें कि स्टोर किए जा रहे चारे की मात्रा उतनी ही हो कि चारे की आने वाली नई फसल तक स्टोर किया गया चारा खत्म हो जाए.
यूनिवर्सिटी के चारा विभाग के वैज्ञानिक डॉ. सतपाल ने किसानों को सलाह देते हुए कहा है कि किसान चारे की फसल के बीज बेचकर भी अपनी इनकम बढ़ा सकते हैं. अगर बरसीम, जई और रिजका की फसल से बीज उत्पादन किया जाए तो अच्छी इनकम होगी. वहीं उनका कहना है कि खासतौर पर गर्मियों में हरे चारे की बेहद कमी हो जाती है. इसलिए मई-जून में पशुओं के लिए हरे चारे की कोई कमी ना रहे इसके लिए मार्च में ही चारे की बुवाई शुरू कर दी जाती है. खासतौर पर ज्वार, बाजरा, लोबिया और मक्का की बुवाई कर अच्छा पौष्टिक चारा लिया जा सकता है. मार्च में बुवाई करने से मई में फसल काटी जा सकती है.
सीआईआरजी के साइंटिस्टर डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि घर पर भी हरे चारे से हे और साइलेज बड़ी ही आसानी से बनाया जा सकता है. लेकिन जरूरत है बस थोड़ी सी जागरुकता की. जैसे पतले तने वाले चारे की फसल को पकने से पहले ही काट लें. उसके बाद तले के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें. उन्हें तब तक सुखाएं जब तक उनमे 15 से 18 फीसद तक नमी ना रह जाए. हे और साइलेज के लिए हमेशा पतले तने वाली फसल का चुनाव करें.
क्योंकि पतले तने वाली फसल जल्दी सूखेगी. कई बार ज्यादा लम्बे वक्त तक सुखाने के चलते भी चारे में फंगस की शिकायत आने लगती है. यानि चारे का तना टूटने लगे इसके बाद इन्हेंय अच्छी तरह से पैक करके इस तरह से रख दें कि चारे को बाहर की हवा न लगे.
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