झींगा मछली के चीन-अमेरिका बड़े उपभोक्ता हैं. देश में भी धीरे-धीरे झींगा की डिमांड बढ़ रही है. बेशक घरेलू बाजार में फ्रोजन झींगा की मांग कम है. बाजार में झींगा के रेट उसके वजन नहीं साइज के हिसाब से तय होते हैं. साइज के चलते साल में तीन से चार बार झींगा की फसल तैयार हो जाती है. पानी इसके मुताबिक हो तो उत्पादन भी खूब होता है. झींगा किसी भी दूसरी मछली से ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है, लेकिन खास पानी के चलते इसका पालन हर जगह नहीं किया जा सकता है.
पंजाब फिशरीज डिपार्टमेंट के असिस्टेंट डायरेक्टर कर्मजीत सिंह का कहना है कि मुक्तसर साहिब जिले के रत्नाखेड़ा गांव में हमने साल 2016-17 में झींगा मछली पालन को लेकर एक ट्रायल किया था. लखविंदर नाम के किसान के खेत में यह ट्रायल किया गया था. एक एकड़ जमीन पर झींगा मछली पाली गई थी. चार महीने में जब झींगा तैयार हुई तो उसका वजन चार टन यानि 40 क्विंटल था.
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झींगा हैचरी एसोसिएशन के अध्यक्ष आंध्रा प्रदेश निवासी रवि कुमार येलांकी ने किसान तक को बताया कि वैसे तो देश ही नहीं विदेशों के बाजार में हर तरह के साइज वाले झींगा की डिमांड है. जैसे चीन और अमेरिका की बात करें तो यहां झींगा की बहुत खपत है. यहां बड़े साइज का झींगा ज्यादा खाया जाता है.
अगर छोटे साइज जैसे 14 से 15 ग्राम की बात करें तो इसकी सबसे ज्यादा डिमांड है. एक किलो वजन में यह 60 से 70 पीस आ जाते हैं. नौ ग्राम का झींगा भी बाजार में मांगा जाता है, लेकिन इसकी डिमांड ज्यादा नहीं है. वैसे तो इसके रेट विदेशी बाजारों के चलते चढ़ते और उतरते रहते हैं. लेकिन अभी 350 से 360 रुपये के आसपास ही चल रहे हैं.
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रवि कुमार येलांकी ने बताया कि 14-15 ग्राम वजन वाला झींगा तालाब में 70 से 80 दिन में तैयार हो जाता है.अगर झींगा पालन में किसी भी तरह की कमी रह भी जाती है तो ज्यादा से ज्यादा 90 दिन में तो हर हाल में तैयार हो ही जाएगा. इसके अलावा अगर बड़े साइज का झींगा तैयार करना है तो ज्यादा से ज्यादा चार महीने में तैयार हो जाएगा. इस तरह से एक साल में झींगा की तीन से चार बार तक फसल तैयार की जा सकती है.
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