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Goat Farming: बकरीद पर 30 से 60 किलो तक के इन बकरों को किया तैयार तो होगा मोटा मुनाफा 

Goat Farming: बकरीद पर 30 से 60 किलो तक के इन बकरों को किया तैयार तो होगा मोटा मुनाफा 

आम दिनों में बेशक मीट के शौकीन 15-16 वजन वाले बकरे पसंद करते हैं, लेकिन बकरीद पर तो दूसरी चीजों के साथ ही वजन को वरीयता दी जाती है. देश में जहां 55 से 60 किलो वजन की नस्ल वाले बकरे हैं तो 30 से 35 किलो वजन तक के बरबरी और ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरे भी हैं. 

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बकरियों में रोग और रोकथाम बकरियों में रोग और रोकथाम

बकरीद के दौरान कुर्बानी के बकरों में वजन भी बड़ी अहमियत रखता है. हालांकि ऐसी कोई मान्यता नहीं है कि बकरा वजनदार ही हो, लेकिन क्योंकि कुर्बानी के बकरे का मीट बांटा जाता है तो इसलिए खरीदार वजनदार बकरे की तलाश में ही रहते हैं. खरीदारों के बजट के हिसाब से बाजार में सामान्य तौर पर 30 से 60 किलो वजन के बकरे की खूब डिमांड रहती है. इस वजन के बकरे हाथ-ओं-हाथ बिक जाते हैं. अगर बकरा नस्लीय है तो दाम और भी अच्छे मिलते हैं. बकरीद में अभी एक महीने से ज्यादा का वक्त  है. अगर पशुपालक नस्लीय बकरों पर ध्यान दें तो आने वाली बकरीद पर उन्हें मोटा मुनाफा हो सकता है.  

गोट एक्सपर्ट की मानें तो बकरों की कुछ खास ऐसी नस्ल हैं जो सामान्य खिलाई-पिलाई पर ही प्राकृतिक रूप से 40 से 55 किलो वजन तक के हो जाते हैं. तीन-चार नस्ल तो ऐसी भी हैं जो 60 किलो और इसके ऊपर के वजन तक पहुंच जाती हैं. हालांकि आम दिनों में बाजार में बिकने वाले बकरे के मीट के लिए 20 से 25 किलो वजन तक के ही बकरे पसंद किए जाते हैं. 

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50 से 55 किलो वजन का होता है गोहिलवाड़ी बकरा 

गोहिलवाड़ी नस्ल के बकरे खासतौर पर गुजरात के राजकोट, जूनागढ़, पोरबंदर, अमरेली और भावनगर में पाए जाते हैं. देश में इनकी कम संख्या कम है, इसलिए इस नस्ल के बकरे और बकरियां बहुत ही मुश्किल से मिलते हैं. गोहिलवाड़ी नस्ल का बकरा 50 से 55 किलो वजन तक और बकरी 40 से 45 किलो तक की पाई जाती है. इनका रंग काला होता है, सींग मुड़े हुए और मोटे होते हैं. 

60 किलो वजन में जखराना बकरा है पहली पसंद  

अलवर, राजस्थान में जखराना नाम का गांव हैं. इसी गांव के नाम पर बकरे-बकरी की एक खास नस्ल को जखराना के नाम से जाना जाता है. इस नस्ल को खासतौर पर दूध और मीट दोनों के लिए ही पाला जाता है. देखने में जखराना नस्ल के बकरे ही नहीं बकरियां भी ऊंची और लम्बी-चौड़ी नजर आती हैं. जखराना बकरे 55 से लेकर 58 किलो वजन तक के तो पाए जाते ही हैं, लेकिन कभी-कभी इनका वजन 60 किलो और उससे ज्यादा भी हो जाता है. बकरी 45 किलो वजन तक की होती है. जखराना की पहचान उसकी लम्बाई-चौड़ाई तो है ही, साथ में इनका काला रंग और मुंह समेत कान पर सफेद रंग के धब्बे भी होते हैं. देश में जखराना की संख्याा करीब नौ लाख है. 

35 किलो वजन के इस बकरे का नाम ही काफी है  

बरबरे नस्ल  के बकरे तो बरबरे के नाम पर ही बिक जाते हैं. इस नस्ल का बकरा 30 से 35 किलो वजन तक का पाया जाता है. बकरीद के मौके पर खासतौर से यूपी में बरबरे बकरे बहुत बिकते हैं. अरब देशों से भी बरबरे नस्ल के बकरे की खूब डिमांड आती है.बरबरे बकरे को मीट के लिए बहुत पसंद किया जाता है. बकरीद के दौरान लाइव बरबरे बकरे भी सऊदी अरब, कतर, यूएई, कुवैत के साथ ही ईरान-इराक में सप्लाई किए जाते हैं. देश में भी बकरीद के मौके पर लोग कुर्बानी के लिए बरबरे बकरे तलाशते हैं. 

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ऐसे करें बरबरे बकरे की पहचान 

बरबरे बकरे भूरे-सफेद और कत्थई-सफेद होते हैं. साइज में यह मीडियम होते हैं. कान ऊपर की ओर उठे हुए नुकीले और छोटे होते हैं. इनके सींग नॉर्मल साइज में पीछे की और मुड़े हुए होते हैं. बरबरी नस्ल की बकरी अपने दुग्धकाल में 80 से 100 लीटर तक दूध देती है.