दूसरे मौसम की तुलना में गर्मियों के दौरान पशुओं की देखभाल कुछ ज्यादा ही करनी पड़ती है. अगर इस देखभाल में जरा सी भी लापरवाही हुई तो दुधारू पशु छोटा हो या बड़ा उसे बीमार पड़ने में वक्त नहीं लगता है. और जब पशु बीमार होता है तो पशुपालक को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है. पशु के बीमार होते ही एक तो उसका दूध उत्पादन कम हो जाता है. और फिर उसकी बीमारी के इलाज का खर्च भी बढ़ जाता है. लेकिन गर्मी के दौरान अगर कुछ छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखा जाए तो पशुओं को गर्मी के दौरान बड़ी बीमारियों से भी बचाया जा सकता है. सावधानी बरतने के दौरान कुछ चीजें तो ऐसी हैं जिन्हें घर पर ही बहुत मामूली खर्चे से तैयार किया जा सकता है.
लेकिन इस बात का भी खास ख्याल रखे कि अगर पशु की परेशानी बड़ी हो जाए तो फिर घर पर घरेलू इलाज करने के बजाए फौरन ही डॉक्टर की सलाह लें. इस खबर में हम आपको नानाजी देशमुख वेटरनरी साइंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर के डाक्टरों की ओर से गर्मियों के लिए जारी एडवाइजरी के बारे में बताएंगे. इस एडवाइजरी को डॉ. सलीमा अहमदी कादरी, डॉ. एकनाथ विरेन्द्र, डॉ. मनीष कुमार शुक्ला और डॉ. ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने तैयार किया है.
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गर्मी के मौसम में पशुओं को सुबह-शाम ठंडे वक्त में चराएं दोपहर को नहीं. डॉक्टरों के मुताबिक गर्मियों में सुबह-शाम भूसा और दाना खिलाना चाहिए. मिनरल मिक्सचर भी खाने को दें, ये शरीर की जरूरतों को संतुलित बनाकर रखता है. घर पर भी मिनरल मिक्सचर तैयार कर सकते हैं. गर्मी में पशु कम खाते हैं इसलिए अच्छी क्वालिटी का ही मिनरल मिक्सचर पशुओं को खिलाएं. चारा और दाने का अनुपात 70:30 का होना चाहिए. जरूरत के मुताबिक हरा चारा भी खिलाएं.
गेहूं-चावल की चोकर 20-20 फीसद
मकई 15 फीसद
खली 25
अरहर की चूनी 10
मूंग की चूनी 05
साधारण नमक, सीरा और विटामिन 05
गर्मी में पशु तेजी से हांफ रहा है, सांस तेज-तेज चल रही है और लार भी टपक रही है तो समझ जाएं कि पशु को लू लगी है. पशु लड़खड़ा कर चलता है. पशु कमजोर हो जाता है. पशु की खुराक कम हो जाती है. शरीर का तापमान 102 डिग्री से ऊपर हो जाता है. हॉर्ट और पल्स रेट बढ़ जाती है.
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आंखों में गड्ढा पड़ने लगता है. पेशाब का रंग पीला हो जाता है. व्यवहार सुस्त हो जाता है. त्वचा सूखी हो जाती है. त्वचा को उंगलियों से पकड़ कर छोड़ने पर वो जल्दी से सामान्य नहीं होती है. कुछ देर तक उठी हुई रहती है. गोबर सूखा हुआ होता है. पशुओं में पानी की कमी ऐसी जगह ज्यादा होती है जहां नमी और तापमान में तेजी ज्यादा देखने को मिलती है. 15 से 20 फीसद पानी की कमी पशु के लिए जानलेवा हो सकती है. कई बार तो पशु बेहोश भी हो जाता है.
पशु को छाया और हवादार जगह पर बांधे. ठंडा पानी पीने के लिए दें. 10 लीटर पानी में 100 ग्राम नमक मिलाकर दें. शेड में पंखे या कूलर की व्यवस्था करें. जरूरत के हिसाब से हरा चारा खिलाएं. पानी की हल्की सी कमी होने पर पानी में इलेक्ट्रोलाइट मिलाकर दिन में तीन बार पिलाएं. 20 लीटर पानी में 140 ग्राम नमक, 25 ग्राम पोटेशियम क्लोकराइड, 10 ग्राम कैल्शिलयम क्लोराइड मिलाकर घर पर ही इलेक्ट्रोलाइट का घोल तैयार किया जा सकता है. 60 से 70 लीटर घोल दिन में तीन बार पिलाया जा सकता है. पानी की ज्यादा कमी होने पर फौरन ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
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