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भीषण गर्मी और लू से तमिलनाडु में मरने लगीं मुर्गियां, बचाव के लिए ये उपाय करें मुर्गीपालक

भीषण गर्मी और लू से तमिलनाडु में मरने लगीं मुर्गियां, बचाव के लिए ये उपाय करें मुर्गीपालक

पशुपालन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि हम सभी इस तथ्य से अवगत हैं कि चिकन और अन्य मुर्गियां गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं. गर्म मौसम की स्थिति के कारण मुर्गियों की मौत हो सकती है.

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मुर्गी पालक को हो रहा नुकसान. (सांकेतिक फोटो) मुर्गी पालक को हो रहा नुकसान. (सांकेतिक फोटो)

प्रचंड गर्मी और लू से सिर्फ इंसान ही परेशान नहीं हैं, बल्कि मवेशियों को भी दिक्कत हो रही है. तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में भीषण गर्मी से पॉल्ट्री उद्योग से जुड़े लोगों को काफी नुकसान हो रहा है. कहा जा रहा है कि पल्लदम के पोल्ट्री फार्मों में गर्मी के कारण पिछले कुछ हफ्तों से मुर्गियों की मौत हो रही है. इससे पॉल्ट्री उद्योग से जुड़े लोगों की चिंता बढ़ गई है. हालांकि, पशुपालन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि हम सभी जानते हैं कि चिकन और अन्य मुर्गियां गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं. गर्मी बढ़ने पर इनकी मौत हो सकती है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी तमिलनाडु का ब्रॉयलर उद्योग 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का है, जिसमें पल्लदम (तिरुप्पुर), इरोड और कोयंबटूर में 5,000 से अधिक ब्रॉयलर फार्म हैं. वे प्रति माह 10 लाख मुर्गियां पैदा करते हैं और इन्हें कोयंबटूर, इरोड, डिंडीगुल और तिरुप्पुर में आपूर्ति की जाती है. टीएनआईई से बात करते हुए, पोल्ट्री फार्म के मालिक के मुरुगेसन ने कहा कि मेरे पास पल्लदम में एक छोटा पोल्ट्री फार्म है, जिसमें मेरी सुविधा में 6,000 ब्रॉयलर मुर्गियां हैं. वे (हैचरी) चारा, दवाइयां और अन्य चीजें देते हैं. वे एक दिन के चूजों का 40-45 दिनों तक पालन करने के बाद बेच देते हैं. जिसका वजन 2.5 से 3 किलोग्राम होता है.

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8 फीसदी तक मुर्गियों की मौत

उन्होंने कहा कि हालांकि, गर्मी शुरू होने के बाद चीजें बदल गई हैं. मुर्गियां गर्मी की लहर को सहन करने में असमर्थ हैं और मर रही हैं. अक्सर प्रत्येक 100 मुर्गियों में से तीन की मौत हो जाती है. लेकिन अब प्रति 100 मुर्गियों में से लगभग सात से आठ मुर्गियों की मौत हो रही है. यानी गर्मी से आठ फीसदी तक मुर्गियां मर रही हैं. वहीं, एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मी से राहत के लिए छोटे पंखों का इस्तेमाल करें और मुर्गियों पर बार-बार पानी छिड़कते रहें. इससे मुर्गियों की मौत नहीं होगी.

कितने दिनों में तैयार होते हैं चूजे

 मुरुगेसन ने कहा कि ऐसे भी गर्मी की लहरें चिकन के लिए असहनीय हैं. यदि कोई चूजा 45 दिनों से अधिक समय तक बढ़ता है और मर जाता है, तो इससे पोल्ट्री फार्म और हैचरी को भारी नुकसान हो सकता है. कुछ हैचरियां 35 दिनों के बाद भी ब्रॉयलर चिकन उठा रही हैं. हालांकि, इन मुर्गों का वजन करीब 1.6 किलोग्राम होगा. इन समस्याओं के अलावा, मुर्गियों की जीवित रहने की दर भी कम है. उदाहरण के लिए, जब हम एक छोटे पोल्ट्री फार्म में 1,000 (एक दिन के) चूजों की आपूर्ति करते हैं, तो लगभग तीन प्रतिशत चूजे मर जाते हैं.

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गर्मी नहीं होती बर्दाशत

हालांकि, वर्तमान में लगभग 10 प्रतिशत चूज़े 30 दिनों के भीतर मर जाते हैं. पोल्ट्री फार्म जिम्मेदारी नहीं उठा सकते, क्योंकि इन इकाइयों की जिम्मेदारी सिर्फ उन्हें बढ़ाना और खिलाना है. बड़ी हैचरियां इतना बड़ा घाटा उठाने को मजबूर हैं. पशुपालन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि हम सभी इस तथ्य से अवगत हैं कि चिकन और अन्य मुर्गियां गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं. गर्म मौसम की स्थिति के कारण मुर्गियों की मौत हो सकती है. हमने मरे हुए मुर्गियोंको को हटाने और बीमार कुकुट को मारने के लिए एहतियाती सलाह जारी की है.